केंद्र की मोदी सरकार ने बिहार को एक और तोहफा दिया है. केंद्र सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन के तहत बिहार के शहरों की साफ-सफाई और कचरा प्रबंधन के लिए 1,154 करोड़ रुपये स्वीकृति कर दिए गए हैं. बता दें कि केंद्र सरकार ने बिहार के शहरों को साफ रखने के लिए 1200 करोड़ रुपये की भारी-भरकम राशि आवंटित की थी. इस पैसे से शहरी निकायों में साफ-सफाई के लिए अत्याधुनिक उपकरण खरीदे जाएंगे. साथ ही कचरा प्रसंस्करण की कई योजनाओं को जमीन पर उतारा जाएगा. केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय के स्वच्छ भारत मिशन के निदेशक विनय कुमार झा ने इसकी जानकारी दी.
इस कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी भी शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने कहा कि हमलोगों को कचरे को आमदनी का साधन बनाना होगा. इसके लिए वेस्ट टू वेल्थ (कूड़े से संपत्ति) मिशन पर काम करने की जरूरत है. इसके लिए पैसे की कमी नहीं है. चार हजार करोड़ रुपये अलग से सिर्फ इसी के लिए रखे गए हैं. बिहार के नगर विकास एवं आवास विभाग के मंत्री नितिन नवीन ने कहा कि देश-विदेश में कचरा प्रबंधन की बेहतर प्रैक्टिस को समझने और इसे लागू करने के लिए ही विशेषज्ञों के साथ यह कान्क्लेव आयोजित किया गया है. यहां निकलने वाले निष्कर्ष के आधार पर ही सफाई का रोडमैप बनाया जाएगा. हमारा लक्ष्य है कि एक माह में रोडमैप तैयार कर पंचायत स्तर पर इसे उतारा जाए.
बता दें कि राज्य के 142 शहरों के 78 प्रतिशत घरों से डोर टू डोर कचरे का उठाव हो रहा है. सुपौल एकमात्र शहर है जहां 100 प्रतिशत घरों से कचरे का संग्रह किया जा रहा है. वहीं बक्सर के 98.75 फीसदी जबकि राजधानी पटना के 98.13 फीसदी घरों से डोर टू डोर कचरा संग्रह किया जा रहा है. 100 फीसदी कचरा संग्रह के कारण तीन साल पहले बिहार के सुपौल शहर को केंद्र सरकार की ओर से स्वच्छता सर्वेक्षण 2023 में कचरा मुक्त शहर के रूप में चुना गया था. राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने सुपौल शहर के मुख्य पार्षद राघवेन्द्र झा राघव एवं कार्यपालक पदाधिकारी कृष्ण स्वरूप को सम्मानित किया था. इससे पहले साल 2021 में भी सुपौल को यह खिताब मिला था.