आमतौर पर एक प्रचलित धारणा है कि पितृ पक्ष में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है. इसका मुख्य कारण पितरों की नाराजगी से जुड़ा होता है. ऐसे में क्या किसी आपात स्थिति में कोई शुभ कार्य का आयोजन करना है तो उसके लिए किसी विशेष पूजा की जरूरत होती है? इस सवाल का जवाब देने के लिए हमने मध्य प्रदेश के ज्योतिषाचार्य पंडित पंकज मेहता से बात की, जहां उन्होंने तथ्यों के साथ जानकारी दी.
क्या है धार्मिक आधार
खरगोन जिले के पंडित पंकज मेहता के अनुसार, पितृ पक्ष के दौरान शुभ कार्यों से बचने की परंपरा का धार्मिक आधार यह है कि यह समय अपने पितरों को श्रद्धांजलि देने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने का होता है. पौराणिक कथाओं में कहा गया है कि पितृ पक्ष में पितर धरती पर आते हैं और इस दौरान उन्हें तृप्त करना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है.
अगर किसी को पितृ पक्ष में शुभ कार्य करना आवश्यक हो, तो पहले अपने पितरों की विशेष पूजा और तर्पण करना चाहिए. हालांकि, शास्त्रों में यह भी माना गया है कि कोई भी शुभ कार्य करने के लिए सोलह दिन सभी के लिए निषेद नहीं है. जिस दिन अपने घर में पितरों का पूजन होता है. सिर्फ उसी दिन शुभ कार्य निषेद होते हैं. शेष अन्य दिनों में कोई भी शुभ कार्य किए जा सकते हैं. इसके लिए पितृ पूजा में पितरों का आह्वान करके उनसे क्षमा याचना की जाती है और उनके आशीर्वाद की प्रार्थना की जाती है. ऐसा माना जाता है कि पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने से शुभ कार्य में किसी भी प्रकार की बाधा नहीं आती है.
क्या है वैज्ञानिक आधार
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से, पितृ पक्ष में विशेष पूजा करने का कारण मानसिक और भावनात्मक शांति प्राप्त करना हो सकता है. पंडित मेहता बताते हैं कि इस समय विशेष पूजा और तर्पण से मनोवैज्ञानिक लाभ भी होते हैं. यह प्रक्रिया व्यक्ति को अपने पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का अवसर देती है और उसे मानसिक संतोष का अनुभव होता है. पूरा परिवार एकत्रिक होकर पितृ पूजन करता है तो पितृ प्रसन्न होते हैं.
पितरों के प्रति सम्मान प्रकट करने से व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है, जो शुभ कार्यों के लिए आवश्यक सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करती है. इस समय पितरों की विशेष पूजा करने से ध्यान और मन की एकाग्रता बढ़ती है, जो किसी भी कार्य को सफल बनाने में सहायक होती है.
क्या है विशेषज्ञ की राय
ज्योतिषाचार्य पंडित पंकज मेहता का कहना है कि पितृ पक्ष में जिस दिन पितृ की मृत्यु हुई हो उस दिन विशेष पूजा करना शुभ कार्यों के लिए लाभकारी हो सकता है. यह न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि व्यक्ति के मानसिक और भावनात्मक संतुलन के लिए भी आवश्यक है.