गाजा में इजरायल और हमास के बीच लगभग एक साल से युद्ध जारी है। हालांकि इजरायल सिर्फ एक जंग नहीं रह रहा है।
इजरायल कई मोर्चे पर लड़ रहा है और यही वजह है कि यह देश के 76 साल के इतिहास में संघर्ष का सबसे जटिल समय बन गया है।
इजरायल के कब्जे वाले वेस्ट बैंक में सेना कई फिलिस्तीनी शहरों में आतंकवादी समूहों पर छापे मार रही है और हमले कर रही है जिसमें अक्टूबर से लगभग 600 लोग मारे गए हैं। यह दो दशकों से अधिक समय से इस क्षेत्र में सबसे बड़ा अभियान है।
बीते बुधवार को इजरायल ने हाल के महीनों में क्षेत्र में अपना सबसे बड़ा हमला शुरू किया जिसमें आतंकवादियों को निशाना बनाने के लिए एक साथ तीन शहरों पर हमला किया गया।
वहीं इज़राइल-लेबनान सीमा पर इज़राइल और हिजबुल्लाह लगातार एक दूसरे पर रॉकेट और मिसाइल से हमले कर रहे हैं। इस समूह को ईरान का समर्थन है।
इस वजह से ईरान के साथ इज़राइल की सालों पुरानी दबी हुई रंजिश बाहर आ गई है। दोनों पक्षों ने अप्रैल में एक-दूसरे पर प्रत्यक्ष हमले किए हैं। इससे यह डर पैदा हो गया है कि गाजा का युद्ध ईरान, मिडिल ईस्ट में इसके कई प्रॉक्सी वॉर और को जन्म दे सकता है।
अब सवाल यह उठता है कि यह समूह इज़राइल से क्यों लड़ रहे हैं, वह उनसे निपटने के लिए जंग क्यों लड़ रहा है और इन संघर्षों को खत्म होने में इतना समय क्यों लग रहा है?
इज़राइल अभी भी गाजा में क्यों लड़ रहा है?
हमास के अधिकांश सैन्य ढांचे की बर्बादी और हजारों लोगों की मौत के बावजूद गाजा में युद्ध का कोई अंत नहीं दिख रहा है। इज़राइल ने जीत के लिए एक लक्ष्य बनाया है। वह हमास नेतृत्व का पूरी तरह सफाया करना चाहता है। इसके अलावा समूह द्वारा अभी भी कैद लगभग 100 बंधकों को छुड़ाना भी लक्ष्य है।
इसके उलट हमास जंग में सिर्फ खुद को बचाने की कोशिश कर रहा है। समूह के कुछ नेताओं के बारे में माना जाता है कि वे अंडरग्राउंड हैं और कुछ मामलों में इजरायली बंधकों से घिरे हुए हैं जिससे इजरायल के लिए अपनो को ढूंढना और चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
इजरायल की रणनीति भी जीत को और दूर कर रही ही है। इसकी सेना ने जीते गए अधिकांश क्षेत्रों से तेजी से पीछे हट गए हैं जिससे कुछ मामलों में हमास को वहां फिर से संगठित होने और युद्ध को उस तरह से खत्म करने से रोकने का और समय मिल गया है। युद्धविराम की बातचीत भी फेल साबित हुई है क्योंकि इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू केवल एक अस्थायी युद्धविराम चाहते हैं जबकि हमास लीडर याह्या सिनवार पूरी तरह से जंग को खत्म करने की बात कर रहा हैं।
वेस्ट बैंक के शहरों पर क्यों टूट पड़ा इजरायल?
2005 में जब इज़रायली सैनिक गाजा से वापस गए तो सेना ने वेस्ट बैंक को पूरी तरह नहीं खाली किया और आंशिक रूप से उन बस्तियों में रहने वाले लगभग 5 लाख इज़रायली लोगों की सुरक्षा के लिए वहां रुक गई जिन्हें दुनिया के अधिकांश देशों द्वारा अवैध माना जाता है।
इज़रायली सेना नियमित रूप से पश्चिमी तट पर फ़िलिस्तीनी शहरों पर छापे मारती है और हमला करती है ताकि हमास सहित सशस्त्र फ़िलिस्तीनी समूहों को रोका जा सके जो उन बस्तियों में और खुद इज़रायल में इज़रायली लोगों पर आतंकवादी हमले करते हैं। कई आतंकवादी समूह इज़रायल के अस्तित्व का विरोध करते हैं। हाल के सालों में वे और अधिक सक्रिय हो गए हैं क्योंकि इज़रायल का कब्ज़ा बढ़ता जा रहा है।
गाजा में युद्ध शुरू होने के बाद से इज़रायल ने इन सशस्त्र समूहों पर अपने हमलों को बढ़ा दिया है। उनका कहना है कि ईरान से तस्करी किए जाने वाले हथियारों में वृद्धि के बीच वे और भी अधिक सक्रिय हो गए हैं। इजराइल का यह भी कहना है कि फिलिस्तीनी प्राधिकरण जो वेस्ट बैंक में फिलिस्तीनी शहरों का प्रशासन करता है वह इन समूहों पर अकेले लगाम लगाने में बहुत कमज़ोर हो गया है।
इजरायली सेना का कहना है कि उसके अभियान ने कई प्रमुख आतंकवादी कमांडरों को मार गिराया है और इजरायली नागरिकों पर कई हमलों को विफल किया है। फिर भी आतंकवादी अपनी तकनीक को मजबूत करते हुए दिखाई दे रहे हैं। पिछले महीने वेस्ट बैंक के एक फिलिस्तीनी ने तेल अवीव में एक बम विस्फोट किया।
यह कई सालों में अपनी तरह की पहली घटना थी और इजरायली सेना ने अपने रेड के पीछे इस घटना को भी कारण बताया है।
लेबनान पर क्यों हमलावर है इजरायल?
हिजबुल्लाह हमास से जुड़ा एक समूह है जो दक्षिणी लेबनान के बड़े हिस्से को नियंत्रित करता है। हिजबुल्लाह ने 7 अक्टूबर के हमले के तुरंत बाद हमास के साथ एकजुटता में इज़राइल पर गोलीबारी शुरू कर दी थी। तब से इज़राइल और हिजबुल्लाह इज़राइल-लेबनान सीमा पर रॉकेट और मिसाइल दाग रहे हैं।
वह एक बड़े जमीनी युद्ध से बचने की कोशिश भी कर रहे हैं जो संभवतः दोनों देशों में भीषण तबाही ला सकता है। इज़रायल के लड़ाकू जेट लेबनान की राजधानी बेरूत को बर्बाद कर सकते हैं वहीं हिजबुल्लाह के पास हज़ारों सटीक-निर्देशित मिसाइलें हैं जो इज़राइली शहरों को तबाह कर सकती हैं।
इज़राइल ने कहा है कि वह हिजबुल्लाह की संपत्तियों और गुर्गों को तब तक निशाना बनाना बंद नहीं करेगा जब तक कि उत्तरी इज़राइल के निवासियों के लिए घर वापस लौटना सुरक्षित न हो जाए जिनमें से लगभग 60,000 लड़ाई के कारण विस्थापित हो गए हैं।
हालांकि यह मुमकिन नहीं लग रहा है। हिजबुल्लाह ने गाजा में स्थायी युद्धविराम तक गोलीबारी जारी रखने की कसम खाई है। गाजा में युद्ध का कोई अंत नज़र नहीं आने के कारण लेबनान की लड़ाई लंबी खिंचती नज़र आ रही है।
जुलाई में स्कूली बच्चों पर लेबनानी हमले के बाद इज़राइल ने बेरूत में एक शीर्ष हिज़्बुल्लाह कमांडर को मार डाला था। जानकारों का कहना है कि अभी इसका कोई समाधान नजर नहीं आ रहा है।
इज़राइल ईरान के साथ क्यों लड़ रहा है?
दशकों से ईरान के नेताओं ने कहा है कि वे इज़राइल को खत्म करना चाहते हैं। दोनों देशों ने एक-दूसरे पर अप्रत्यक्ष रूप से हमला किया है और दोनों ने एक-दूसरे को रोकने के लिए क्षेत्रीय गठबंधन बनाए हैं। इज़राइल ईरान के परमाणु हथियार बनाने के प्रयासों को एक अस्तित्वगत खतरे के रूप में देखता है और अक्सर इसे रोकने का प्रयास करता है। गाजा में युद्ध तक दोनों पक्षों ने अपने हमलों के लिए इनकार करने की कोशिश की। यह मुख्य रूप से एक सीधे टकराव से बचने के लिए था जो पूर्ण युद्ध में बदल सकता था। इज़राइल ने ईरानी अधिकारियों की हत्या की जिम्मेदारी कभी नहीं ली। ईरान ने अपने खुद के बड़े सार्वजनिक उकसावे से परहेज किया जबकि हमास, हिजबुल्लाह और यमन में हुती जैसे छद्मों को साथ ही पश्चिमी तट में फिलिस्तीनी समूहों को इजरायल पर हमला करने के लिए प्रोत्साहित किया।
गाजा में संघर्ष की तीव्रता के बाद अब वह खुले आम लड़ रहे हैं। अप्रैल में इजरायल ने सीरिया में एक ईरानी राजनयिक परिसर पर हमला किया जिसमें कई वरिष्ठ ईरानी कमांडर मारे गए।
ईरान ने इजरायल पर ईरान की ओर से पहला सीधा हमला करते हुए सैन्य इतिहास में क्रूज और बैलिस्टिक मिसाइलों की सबसे बड़ी बौछारें दागकर जवाब दिया जिससे पूर्ण युद्ध की आशंका पैदा हो गई। और जब हमास के राजनीतिक नेता इस्माइल हानियेह ने जुलाई में ईरान का दौरा किया तो इजरायल ने ईरानी धरती पर उसे मार गिराया जिसके बाद ईरान ने इजरायल पर सीधा हमला करने की कसम खाई है।
इजरायल का तर्क
इजरायल का कहना है कि उसके पास ईरान के नेतृत्व वाले क्षेत्रीय गठबंधन के खिलाफ खुद का बचाव करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है जिसका उद्देश्य न केवल फिलिस्तीनियों पर इजरायल के कब्जे को खत्म करना है बल्कि खुद इजरायल को नष्ट करना है। इज़रायली अधिकारियों ने इस बात पर जोर डाला है कि कैसे हमास और हिजबुल्लाह ने पहले इज़रायल पर हमला किया जिससे इज़रायल को जवाब देने के लिए मजबूर होना पड़ा।
इज़रायली अक्सर 2005 में गाजा से अपनी वापसी का हवाला देते हैं जो इस बात का एक उदाहरण है कि कैसे इज़रायली कोशिशें विफल हो गई।
हमास ने 2006 में विधायी चुनाव जीते, एक साल बाद प्रतिद्वंद्वी समूह फतह से गाजा का नियंत्रण छीन लिया और इज़रायल पर हमलों के लिए गाजा का इस्तेमाल किया जिसमें से एक अक्तूबर 7 का हमला था जो इज़रायल के इतिहास का सबसे बुरा दिन था। नतीजतन वे बल को हमास जैसे समूहों के लिए एकमात्र तार्किक निवारक के रूप में देखते हैं।
बहुत से इज़रायली बिना बल प्रयोग के मिडिल ईस्ट में स्वीकार किए जाने की इच्छा रखते हैं। हालांकि अभी के लिए उनका ऐतिहासिक अनुभव यह है कि बल अक्सर काम करता है। कूटनीति से ज़्यादा यह बल ही था जिसने 1948 में इसके निर्माण के आसपास के युद्धों में नए देश की जिंदा रहने में मदद की। यह इज़रायल की मज़बूत सेना ही थी जिसने इसे 1967 के अरब-इज़रायली युद्ध में तीन दुश्मन राज्यों पर जीतने में मदद की। इसके अलावा यह वही सेना थी जिसने 1973 में सीरिया और मिस्र के एक अचानक हुए हमले को रोका था और 2000 के दशक में आत्मघाती बम विस्फोटों की लहर पर काबू पाने में इज़रायल की मदद की थी। कुछ इज़रायली यह भी सोचते हैं कि उनकी सरकार बहुत ज़्यादा संयम दिखा रही है और उन्हें हिज़्बुल्लाह और ईरान के खिलाफ़ और भी ज़्यादा ज़ोरदार तरीके से जवाबी हमला करना चाहिए।
आलोचक इजरायल के बल प्रयोग को किस तरह देखते हैं?
गाजा में विरोधियों का कहना है कि इजरायल को नागरिकों को कोई परवाह नहीं है। वह उस पर नरसंहार करने का आरोप लगाते हैं जिसे इजरायल नकारता है। लेबनान, ईरान और मिडिल ईस्ट में अन्य जगहों पर इजरायल के आलोचकों का कहना है कि यह अपने लक्ष्यों के चयन में बहुत अधिक उत्तेजक रहा है और कूटनीति को अपना रास्ता अपनाने देने में बहुत अनिच्छुक है।
उदाहरण के लिए कुछ लोगों ने हानियेह और हिजबुल्लाह के शीर्ष कमांडर फुआद शुकर पर इजरायल के हालिया हमलों को गैर-जिम्मेदाराना हस्तक्षेप के रूप में देखा।
इजरायल पर दो दशक पहले फिलिस्तीनियों के साथ शांति समझौते पर सहमत न होने के कारण खुद पर मुसीबत लाने का भी आरोप है। आलोचकों का कहना है कि इजरायल ने वार्ता में बहुत कम समझौता किया।
इजरायल के विरोधी 7 अक्टूबर के हमले को इजरायल के साथ-साथ मिस्र द्वारा गाजा पर 17 साल की नाकाबंदी के लागू होने के संदर्भ में भी देखते हैं जिसने कई गाजावासियों को विदेश यात्रा करने से रोक दिया, क्षेत्र की अर्थव्यवस्था को दबा दिया और 3 जी इंटरनेट और कुछ प्रकार की जटिल स्वास्थ्य देखभाल जैसी रोजमर्रा की सेवाओं तक पहुंच को नुकसान पहुंचाया।
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