अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में सोमवार को एक फिदायीन हमले में 6 लोगों की जान चली गई।
काबुल पुलिस के मुताबिक हमला काफी तेज था और इस हमले में मारे गए 6 लोगों के क्षत-विक्षत शव हमें मिले, जबकि घायल हुए 13 लोगों की हालत अभी ठीक है।
काबुल पुलिस प्रमुख के प्रवक्ता खालिद जादरान ने बताया कि विस्फोट काबुल के दक्षिण-पश्चिम काला बख्तियार इलाके में हुआ। उन्होंने बताया कि मृतकों में एक महिला भी शामिल है। सभी घायलों को इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया है।
इस आत्मघाती हमले की जिम्मेदारी फिलहाल किसी संगठन ने नहीं ली है। खालिद ने बताया कि पुलिस फिलहाल इसकी जांच कर रही है कि इसके पीछे कौन लोग हैं।
अफगानिस्तान की सत्ता पर बैठे तालिबान के एक प्रमुख प्रतिद्वंदी इस्लामिक स्टेट समूह के सहयोगियों ने पूरे अफगानिस्तान के स्कूलों, अस्पतालों, मस्जिदों और शिया क्षेत्रों पर हमले किए हैं। पुलिस के मुताबिक इस में भी इस्लामिक स्टेट का हाथ हो सकता है।
तब तालिबान का मुख्य हथियार था फिदायीन हमला अब उसी से परेशान
अफगानिस्तान की अमेरिका समर्थित सरकार के समय जब तालिबान हाशिए पर था तब तालिबान भी अफगानिस्तान में ऐसे ही आम्मघाती हमलों को अंजाम देता था।
लेकिन अब जबकि ताविबान खुद सत्ता में हैं तो सुरक्षा कि जिम्मेदारी उसके हाथों में ही है। इसके कारण तालिबान के मुख्य प्रतिद्वंदी लगातार उसकी परेशानी को बढ़ाने की कोशिश करते हुए हमले करते रहते हैं।
नाटो सेनाओं की घरवापसी के बाद वापस आया तालिबान राज
2021 में दो दशक तक अफगानिस्तान में डेरा जमाए बैठे अमेरिकी और नाटों फौजों का घर वापसी हुई थी। इन फौजों के अफगानिस्तान को छोड़ते ही तालिबान ने कुछ ही दिनों के अंदर फिर से अफगानिस्तान की सत्ता पर कब्जा कर लिया और तत्कालीन राष्ट्रपति गनी को हेलीकॉप्टर से देश छोड़कर भागना पड़ा।
अफगानी लोगों ने तालिबान का पहले का राज देखा था, इसलिए जब अमेरिका के जाते ही लोग काबुल छोड़कर भागने लगे तो तालिबान ने उनसे वादा किया कि वह इस बार के शासन में उदार रूख दिखाएगा।
लेकिन तालिबान ने जैसे ही सत्ता पर कब्जा किया धीरे-धीरे इस्लामी कानून और शरिया की कठोर संरचना को फिर से लागू कर दिया।
अफगानिस्तान की तालिबानी सरकार को कुछ मुल्कों को छोड़कर बाकि किसी ने मान्यता नहीं दी है।
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