मास्को/कीव/नई दिल्ली। रूस-यूक्रेन जंग के करीब ढाई साल बाद शांति की उम्मीद जगी है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के साथ शांति वार्ता को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि यूक्रेन के साथ रूस की संभावित शांति वार्ता में चीन, भारत और ब्राजील मध्यस्थ की भूमिका निभा सकते हैं। पुतिन ने ईस्टर्न इकॉनोमिक फोरम में कहा कि हालांकि, हमारा प्रमुख उद्देश्य यूक्रेन के डोनबास क्षेत्र को कब्जे में लेना है। रूसी सेना धीरे-धीरे कुस्र्क से यूक्रेनी सेना को पीछे खदेड़ रही है। पुतिन ने कहा कि 2022 में जब जंग शुरू हुई थी, तब तुर्किये ने दोनों देशों के बीच समझौता कराने की कोशिश की थी। हालांकि, उन शर्तों को कभी लागू नहीं किया गया था। अब नए सिरे से बातचीत शुरू करने के लिए पिछली कोशिश को आधार बनाया जा सकता है।
बता दें कि पुतिन का यह बयान ऐसे समय पर आया है, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में युद्धग्रस्त यूक्रेन और इससे पहले रूस का दौरा किया था। पीएम मोदी की ये दोनों यात्राएं काफी महत्वपूर्ण थीं और वैश्विक स्तर पर चर्चा का विषय थी। पीएम मोदी जुलाई महीने में रूस के दौरे पर गए थे। उनका यह दौरा नाटो समिट के बीच हुआ था। इस दौरान राष्ट्रपति पुतिन को गले लगाते पीएम मोदी की तस्वीरें काफी चर्चा में रही थी। इस दौरान मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को याद दिलाया था कि युद्ध के मैदान से शांति का रास्ता नहीं निकलता। इस दौरान पुतिन ने पीएम मोदी को रूस के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोस्टल से भी सम्मानित किया था। लेकिन यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की उनके इस दौरे से नाराज थे और सार्वजनिक तौर पर नाराजगी जाहिर की थी।
प्रधानमंत्री मोदी रूस के बाद 23 अगस्त को यूक्रेन के दौरे पर गए थे। वह पोलैंड से ट्रेन के जरिए कीव पहुंचे थे। पीएम मोदी राष्ट्रपति जेलेंस्की के साथ यूक्रेन नेशनल म्यूजियम पहुंचे थे। इस मुलाकात की कई तस्वीरें और वीडियो वायरल हुई थीं, जिनमें दोनों नेताओं को भावुक होते देखा गया था। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि यूक्रेन बिना समय गंवाए शांति की बात करें। उन्होंने कहा कि समाधान का रास्ता बातचीत से ही निकलता है, डायलॉग-डिप्लोमेसी से निकलता है। और हमें बिना समय गंवाए इस दिशा में आगे बढऩा चाहिए। जेलेंस्की से ये बात कहने से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें इस मुसीबत से बाहर निकालने में मदद का भरोसा भी दिया था। इस दौरान पीएम मोदी ने जेलेंस्की से कहा था कि कुछ समय पहले मैं राष्ट्रपति पुतिन से मिला था, तो मीडिया के सामने आंख में आंख मिलाकर उनसे कहा था कि ये युद्ध का समय नहीं है। मैं पिछले दिनों रूस में मुलाकात के लिए गया था। वहां पर मैंने साफ-साफ अपनी बात कही है कि किसी भी समस्या का समाधान रणभूमि में कहीं भी नहीं होता है।
भारत लगातार रूस और यूक्रेन युद्ध को रोककर शांति की अपील कर रहा है। भारत लगातार इस मामले को जल्द से जल्द शांत करवाने का पक्षधर है। उन्होंने यूक्रेन दौरे पर जेलेंस्की को ऑफर भी दिया था कि शांति की कोशिश में भारत सक्रिय भूमिका निभाने को तैयार हैं। उन्होंने जेलेंस्की से कहा कि मैं आपको विश्वास दिलाना चाहता हूं कि शांति के हर प्रयास में भारत अपनी सक्रिय भूमिका निभाने को तैयार है।
फरवरी 2022 में युद्ध शुरू होने के एक महीने बाद रूस और यूक्रेन के बीच तुर्किये की राजधानी इस्तांबुल में कई दौर की बातचीत हुई थी। इसका मकसद जंग रोकना था। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने जंग रोकने के लिए दो शर्तें रखी थीं। उन्होंने कहा था कि यूक्रेन को दोनेत्स्क, लुहांस्क, खेरसोन और जपोरजिया से अपने सैनिक हटाने होंगे। इसके अलावा यूक्रेन कभी भी नाटो का हिस्सा नहीं बनेगा। हालांकि यूक्रेन ने इन शर्तों को मानने से इनकार कर दिया था।
24 फरवरी 2022 को शुरू हुई रूस-यूक्रेन जंग को ढाई साल पूरे हो चुके हैं। इस बीच अब तक यूक्रेन के 10 हजार आम नागरिकों की मौत हुई है, जबकि 18,500 लोग घायल हुए हैं। यूक्रेन का दावा है कि रूस 3.92 लाख सैनिक गंवा चुका है। इस बीच अमेरिका ने रूस की 500 रूसी कंपनियों पर प्रतिबंध लगा रखे हैं।रूस-यूक्रेन जंग में 6 अगस्त 2024 को पहली बार ऐसा हुआ जब यूक्रेन ने रूस में घुसकर उसके कुस्र्क इलाके पर कब्जा कर लिया। तभी से यूक्रेन लगातार रूस पर हमलावर है।20 दिनों में यूक्रेन के हमलों में रूस के 31 नागरिकों की जान जा चुकी है। दूसरे विश्व युद्ध के बाद ऐसा पहली बार है, जब रूस की धरती पर किसी विदेशी ताकत ने कब्जा किया हो। यूक्रेन ने दो हफ्ते में रूस के 1263 वर्ग किमी इलाके पर कब्जा कर लिया था। यूक्रेन का दावा है कि रूस ने 2024 के 8 महीने में जितने इलाके पर कब्जा किया है, उससे ज्यादा जमीन पर यूक्रेन ने 2 हफ्तों में कब्जा कर लिया है।