अयोध्या: सनातन धर्म के प्रमुख त्योहारों में से राधा अष्टमी का पर्व भी बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. राधा अष्टमी का पर्व कृष्ण जन्माष्टमी के 15 दिन बाद मनाया जाता है. यह दिन भगवान कृष्ण की प्रिय राधा रानी को समर्पित होता है. धार्मिक मान्यता के मुताबिक राधा अष्टमी के दिन राधा रानी का जन्म बरसाना में हुआ था. मथुरा बरसाना समेत पूरे देश में धूमधाम के साथ राधा अष्टमी के दिन राधा रानी की पूजा आराधना की जाती है और उनके निमित्त व्रत भी रखा जाता है. लेकिन राधा अष्टमी के दिन कुछ बातों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत भी है तो चलिए आज हम आपको इस रिपोर्ट में बताते हैं .
दरअसल अयोध्या की ज्योतिष पंडित कल्कि राम बताते हैं कि इस वर्ष राधा अष्टमी का पर्व 11 सितंबर को मनाया जाएगा, कृष्ण जन्माष्टमी की तरह ही राधा अष्टमी का पर्व भी धूमधाम के साथ मनाया जाता है. राधा अष्टमी के दिन राधा रानी की पूजा आराधना की जाती है. पूजा आराधना के दौरान तथा व्रत के दौरान कुछ बातों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत भी है राधा अष्टमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर व्रत का संकल्प लेना चाहिए .
अगर आप राधा अष्टमी के दिन व्रत हैं तो इस दिन तामसिक भोजन जैसे लहसुन प्याज मांस मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए . इसके साथ राधा रानी को पंचामृत खीर पंजीरी हलवे का भोग लगाना चाहिए उसके बाद भक्तों में प्रसाद को वितरित करना चाहिए. राधा अष्टमी के इस मौके पर राधा कृष्ण और लड्डू गोपाल का गंगाजल और पंचामृत से अभिषेक करना चाहिए उसके बाद माता किशोरी का श्रृंगार करना चाहिए ऐसा करना अत्योधिक पुण्य दाई माना जाता है
इसके अलावा राधा जी की पूजा आराधना करते समय विभिन्न प्रकार के स्रोत श्लोक और वैदिक मित्रों का जाप करना चाहिए इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए किसी भी प्रकार के बाद विवाद से बचना चाहिए किसी के बारे में बुरा ना ही सोच ना ही बुरा किसी को कहे.