दुर्ग
सुपेला पावरहाउस स्थित मस्जिद सैलानी बाबा दरबार (करबला मैदान) के किनारे वर्षों से निगम की लगभग पांच एकड़ जमीन पर धार्मिक उपयोग के नाम पर कुछ लोग अवैध कब्जा कर रखे थे । सोमवार की सुबह 6 बजे नगर निगम का बुलडोजर लेकर पहुंचा और 18 दुकानों को ढहा दिया गया जिससे पांच एकड़ में से ढाई एकड़ कब्जा मुक्त हो गया।
एडिशनल कमिश्नर नगर निगम भिलाई अशोक द्विवेदी ने बताया कि निगम की लगभग पाँच एकड़ पर यहां अतिक्रमण था। निगम ने पूर्व में लगातार नोटिस देकर यहां गैर धार्मिक उपयोग के लिए जो दुकानें बनाई गई थीं उन्हें हटाने कहा था क्योंकि धार्मिक उपयोग के नाम पर यहां कई लोग जमीन पर व्यवसाय कर रहे थे जबकि निगम प्रशासन ने धार्मिक उपयोग के लिए यह जमीन छोड़ रखा था। यहां अवैध दुकानें बना कर दर्जन से अधिक लोग व्यवसाय करने लगे थे जिसकी लगातार शिकायतें भी थीं। शिकायतों का निराकरण करते हुए इनके लिए आदेश पारित हुआ कि आप जो गैर धार्मिक उपयोग के लिए जितनी दुकानें बना रखी हैं उन्हें तत्काल हटा लें।
निगम की यह जमीन लगभग 400 करोड़ की है जिसका कुछ लोग धार्मिक उपयोग कर रहे हैं, उनके द्वारा रियायती दर पर उसे आबंटित करने का आवेदन भी दिया था जिस पर निगम एमआईसी और सामान्य सभा में विचार किया जाएगा लेकिन धार्मिक प्रयोजन के नाम पर कुछ लोग जमीन का व्यावसायिक उपयोग कर रहे थे, इनकी लगातार शिकायत आ रही थी जिन्हें नोटिस देने के बाद भी भूमि रिक्त न होने की दशा में आज ढहाया गया है। निगम और कलेक्टोरेट से आदेश था कि गैर धार्मिक वाले कब्जे हटा लीजिए और जो धार्मिक उपयोग की निगम की भूमि है, निगम के नियमानुसार एमआईसी में विचार किया जाएगा। पूरे अभियान में 10 जेसीबी, 30 डंफर और 2 चेन माउंटर का उपयोग किया गया। मौके पर एडीएम, एसडीएम, तहसीलदार समेत 100 से ज्यादा जवानों और कई थानों की पुलिस फोर्स तैनात थी।
भारी पुलिस बल की तैनाती
भिलाई नगर निगम का अमला सोमवार सुबह भारी पुलिस बल के साथ रायपुर-भिलाई हाईवे पर पहुंचा। मस्जिद के पास बने अवैध निर्माण को ध्वस्त करना शुरू कर दिया। देखते ही देखते एक मजार, कई दुकानें, एक मैरिज हॉल और आसपास के अतिक्रमण को जेसीबी से जमींदोज कर दिया गया। निगम की इस कार्रवाई के दौरान एडीएम, एसडीएम, तहसीलदार समेत 100 से ज्यादा पुलिसकर्मी मौजूद थे।
निगम ने नहीं दिया नोटिस
वहीं, स्थानीय लोगों का आरोप है कि निगम ने उन्हें कोई नोटिस नहीं दिया और अचानक ही उनके मकान तोड़ दिए गए। हालांकि, निगम अधिकारियों का कहना है कि कार्रवाई से पहले तीन दिन का नोटिस दिया गया था और सिर्फ़ गैर-धार्मिक निर्माण को ही हटाया जा रहा है।
हाईकोर्ट के आदेश पर कार्रवाई
इस कार्रवाई के पीछे हाईकोर्ट का आदेश है। दरअसल, करबला समिति पर आरोप था कि उन्होंने मस्जिद के लिए आवंटित जमीन से कई गुना ज्यादा जमीन पर कब्जा कर रखा है। कोर्ट ने दुर्ग कलेक्टर को मामले की जांच कर 120 दिनों के भीतर फैसला लेने का आदेश दिया था। वहीं, करबला समिति ने धीरे-धीरे आसपास की ढाई एकड़ जमीन पर कब्जा कर लिया और वहां दुकानें, मजार, शादीघर और एक बड़ा गेट बना लिया।
हमारा इमामबाड़ा तोड़ा
वहीं, मीडिया से बात करते हुए इस करबला कमेटी के सचिव गुलाब नबी ने कहा कि 1957 से मुस्लिम समाज का यहां कब्ज़ा है। कोर्ट ने भी इसे माना है। साडा ने हमें लिखित में 72 डेसीमल जमीन दी थी। हम यहां 25 सालों से बच्चों की शादी करते आ रहे हैं। दुकान और स्वागत द्वार क्या गलत है। निगम के बगल में बनाया, तब क्यों नहीं रोका गया। हमारा इमामबाड़ा तोड़ दिया, वो हमें दी गई ज़मीन पर ही था।
नियमों के अधीन कार्रवाई
वहीं, निगम अधिकारियों का कहना है कि कार्रवाई पूरी तरह से नियमों के तहत की जा रही है। नगर निगम भिलाई के अपर आयुक्त अशोक द्विवेदी ने कहा कि हमारी नगर निगम की ज़मीन पर अतिक्रमण था। करीब 7-8 एकड़ में है ये। इनको नोटिस दिया गया था, लेकिन इन्होंने नहीं हटाया। इसके बाद कार्रवाई की जा रही है। ये सेंसिटिव एरिया होता है। सक्षम स्तर पर आदेश होना होता है। जब हायर लेवल पर आदेश होते हैं, तब कार्रवाई करनी होती है।