नई दिल्ली। हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। भाजपा की रणनीति है कि लगातार तीसरी बार हरियाणा में सरकार बनाई जाए, वहीं जम्मू-कश्मीर को भी फतह किया जाए। इसके लिए भाजपा ने वोटों के बंटवारे की ऐसी रणनीति बनाई है, जिससे विपक्षी पार्टियां आपस में एक-दूसरे का वोट काटेंगी और इसका फायदा भाजपा को होगा। गौरतलब है कि हरियाणा और जम्मू-कश्मीर की 90-90 विधानसभा सीटों पर चुनाव होना है। हरियाणा में पिछले 10 साल से सरकार होने के कारण भाजपा के खिलाफ जबरदस्त एंटी इनकम्बेंसी है। वहीं कांग्रेस के पक्ष में माहौल नजर आ रहा है। वहीं जम्मू-कश्मीर में भाजपा की लहर नजर आ रही है।
हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव भाजपा और अन्य पार्टियों के लिए इसलिए भी अहम है कि इनके बाद महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा के चुनाव होंगे। ऐसे में हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के चुनाव परिणाम काफी प्रभावी हो सकते हैं। इसलिए भाजपा की पूरी कोशिश इस बात की है कि जैसे भी हो हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव को जीता जाए।
हरियाणा में विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन का दौर खत्म हो गया है। 1700 से ज्यादा उम्मीदवारों ने नामांकन भरा है। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच कोई गठबंधन नहीं होने के कारण, भाजपा आगामी विधानसभा चुनावों में गैर-भाजपा दलों के बीच वोटों के बंटवारे की उम्मीद कर रही है। 10 साल की सत्ता विरोधी लहर का सामना कर रही भगवा पार्टी की लगातार तीसरी बार सरकार बनाने की उम्मीदें 5 अक्टूबर के विधानसभा चुनावों में बहुदलीय मुकाबले से जुड़ी हैं। सत्तारूढ़ भाजपा और उभरती कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला है। इसके अलावा, भाजपा और कांग्रेस, आईएनएलडी-बसपा, जजपा-एएसपी (केआर) और आप आगामी चुनावों में प्रमुख खिलाड़ी हैं।
कांग्रेस और आप में गठबंधन नहीं होने के बाद जिस तरह के राजनीतिक घटनाक्रम घटित हुए हैं और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जेल से बाहर आए हैं, उससे कयास लगाए जा रहे हैं कि आप और भाजपा में कोई न कोई समझौता हुआ है। इस समझौते के तहत आम आदमी पार्टी पूरी ताकत के साथ हरियाणा विधानसभा चुनाव में उतरी है। आम आदमी पार्टी इस चुनाव में कांग्रेस का वोट काटेगी। इसका फायदा निश्चित रूप से भाजपा को होगा।
हरियाणा में भाजपा-कांग्रेस के 136 में से 91 बागियों ने भी निर्दलीय या दूसरे दलों से पर्चे भर दिए। नामांकन के आखिरी दिन कांग्रेस में 33, भाजपा में 16 सीटों पर बगावत हुई। वहीं, दोनों दलों के वरिष्ठ नेताओं ने इन्हें मनाने व नाम वापसी के लिए रणनीति बनानी शुरू कर दी है। कांग्रेस में टिकट कटने के चलते अब तक कुल 37 सीटों पर 59 नेता बागी हुए हैं। 31 सीटों पर 44 नेताओं ने निर्दलीय या दूसरी पार्टियों से नामांकन किया है। वहीं, भाजपा में कुल 49 सीटों पर 78 बागी हैं। 34 सीटों पर 47 नेता निर्दलीय या दूसरे दलों से उतरे हैं। भाजपा व आप ही 90 सीटों पर लड़ रही हैं। इनेलो-बसपा-हलोपा का गठबंधन है। इनेलो 51, बसपा 37, हलोपा 1 सीट पर लड़ रही हैं। जजपा-एएसपी ने 85 प्रत्याशी उतारे हैं।
जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में भी भाजपा वोटों के बंटवारे की रणनीति को अमली जामा पहनाकर चुनावी मैदान में उतरी है। भाजपा की रणनीति को देखकर नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि भाजपा जम्मू कश्मीर में सरकार बना सकती है। ये कैसे होगा, उमर ने इसकी वजह भी बताई। उन्होंने कहा कि अगर कश्मीर घाटी में वोटों का बंटवारा होता है तो भाजपा सत्ता पर काबिज हो सकती है। एनसी नेता ने कहा कि अगर कश्मीर में लोग अपने वोटों का बंटवारा होने देते हैं तो भाजपा सरकार बना सकती है। वोटों के बंटवारे से बचने के लिए लोगों को समझदारी से वोट करना चाहिए। वोट बंटने का डर सिर्फ उमर अब्बुदल्ला को ही नहीं पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती को भी सता रहा है। महबूबा ने कहा था कि कश्मीर घाटी में वोट बंट सकते हैं। इसकी वजह उन्होंने इंजीनियर राशिद बताई। महबूबा ने इंजीनियर राशिद को भाजपा की प्रॉक्सी बताया। उन्होंने कहा कि राशिद की वजह से कश्मीर में वोटों का बंटवारा हो सकता है। अंतरिम जमानत पर बाहर आए इंजीनियर राशिद ने कश्मीर क्षेत्र की 20 सीटों पर जीत हासिल करने का लक्ष्य रखा है। राशिद का फोकस युवा वोटर्स पर हैं। उनकी पार्टी के मेनिफेस्टो में छात्रों के लिए फ्री लैपटॉप है। राजनीतिक कैदियों की रिहाई का भी उन्होंने वादा किया है। राशिद लोकसभा चुनाव में उमर अब्दुल्ला को हराने वाला नेता है। उन्होंने बारामूला में ये कारनामा किया। राशिद 2 लाख से ज्यादा वोटों से जीते थे।
हरियाणा कांग्रेस में चुनाव के बीच मची कलह को देखते हुए हाईकमान एक्टिव हो गया है। कांग्रेस ने चुनाव की देखरेख के लिए 3 ऑब्जर्वर नियुक्त कर दिए हैं। इनमें राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत, सीनियर कांग्रेस नेता अजय माकन और पंजाब विधानसभा में कांग्रेस की तरफ से विपक्षी दल के नेता प्रताप सिंह बाजवा शामिल हैं। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक हरियाणा चुनाव में टिकट बंटवारे के बाद गुटबाजी बढ़ गई है। कांग्रेस ने इस बार हुड्डा पर भरोसा करते हुए उनके 60 से ज्यादा समर्थकों को टिकटें दी हैं। ऐसी सूरत में कुमारी सैलजा और रणदीप सुरजेवाला गुट की नाराजगी कहीं पार्टी का नुकसान न करे, इसको लेकर हाईकमान नजर रखेगा। इसके अलावा भूपेंद्र हुड्डा गुट के सैलजा समर्थकों वाली सीटों पर भी कामकाज की निगरानी की जाएगी।