नई दिल्ली।एक देश-एक चुनाव को कानूनी रूप देने के लिए मोदी सरकार ने तैयारियां तेज कर दी हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में हुई कैबिनेट बैठक में वन नेशन-वन इलेक्शन पर आई कमेटी की रिपोर्ट को मंजूरी दे दी है। इसे लेकर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अगुवाई में कमेटी बनाई गई थी। इस कमेटी का गठन पिछले साल सितंबर में हुआ था। कमेटी ने इसी साल मार्च में राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। इस रिपोर्ट में लोकसभा के साथ-साथ राज्यों की विधानसभा और पंचायत चुनाव कैसे करवाए जा सकते हैं, इसे लेकर सुझाव दिए गए थे। इस रिपोर्ट को मंजूरी ऐसे समय मिली है, जब हाल ही में खबरें आई थीं कि मोदी सरकार इसी कार्यकाल में एक देश-एक चुनाव को लेकर बिल लाने की तैयारी कर रही है।
कोविंद कमेटी प्रमुख सिफारिशें
(1) पहले चरण में लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जा सकते हैं। दूसरे चरण में, नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनावों को लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के साथ इस तरह से समन्वयित किया जाएगा कि नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनाव संसदीय और विधानसभा चुनावों के 100 दिन के भीतर कराए जाएं। सरकार को एक साथ चुनाव कराने के चक्र को बहाल करने के लिए कानूनी रूप से स्वीकार्य तंत्र विकसित करना चाहिए। लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने के उद्देश्य से राष्ट्रपति, आम चुनाव के बाद लोकसभा की पहली बैठक की तारीख को ‘‘नियत तारीख’’ के रूप में अधिसूचित करेंगे।
(2) जहां लोकसभा के लिए नए चुनाव आयोजित किए जाते हैं तो ऐसी स्थिति में सदन का कार्यकाल ‘‘केवल सदन के तत्काल पूर्ववर्ती पूर्ण कार्यकाल की शेष अवधि के लिए होगा। जब राज्य विधानसभाओं के लिए नए चुनाव आयोजित किए जाते हैं, तो ऐसी नई विधानसभाएं – जब तक कि उन्हें पहले ही भंग न कर दिया जाए- लोकसभा के पूर्ण कार्यकाल के अंत तक बनी रहेंगी।
(3) भारत के निर्वाचन आयोग द्वारा राज्य निर्वाचन आयोग के परामर्श से एक एकल मतदाता सूची और मतदाता फोटो पहचान पत्र (ईपीआईसी) तैयार किया जाएगा और यह ईसीआई द्वारा तैयार की गई किसी भी अन्य मतदाता सूची का स्थान लेगा। एक साथ चुनाव कराने के लिए रसद व्यवस्था करने के लिए, भारत निर्वाचन आयोग ईवीएम और वीवीपैट जैसे उपकरणों की खरीद, मतदान कर्मियों और सुरक्षा बलों की तैनाती और अन्य आवश्यक व्यवस्थाओं के लिए पहले से योजना और अनुमान तैयार कर सकता है।
(4) नियत तिथि’ के बाद और लोकसभा के पूर्ण कार्यकाल की समाप्ति से पहले चुनावों के माध्यम से गठित सभी राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल केवल बाद के संसदीय चुनावों तक की अवधि के लिए होगा। इस एक बार की अस्थायी व्यवस्था के बाद, सभी लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ आयोजित किये जायेंगे।
सदन में त्रिशंकु स्थिति या अविश्वास प्रस्ताव या ऐसी किसी भी स्थिति में नई लोकसभा के गठन के लिए नए चुनाव कराए जा सकते हैं।