हिंदू धर्म में सूर्य ग्रहण का महत्व बताया गया है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य ग्रहण हमेशा अमावस्या के दिन ही होता है. चंद्र ग्रहण से 9 घंटे पहले सूतक काल लग जाता है, तो वहीं सूर्य ग्रहण से 12 घंटे पूर्व सूतक काल शुरू हो जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूतक काल में धर्म-कर्म और शुभ कार्य करने वर्जित होते हैं. अगर इस दौरान कोई शुभ कार्य किया जाए तो उसका दोष लगता है. सूतक काल में शुभ कार्य करने से लगे दोष का को दूर करने के लिए अनेकों प्रकार के उपाय किए जाते हैं. वहीं साल 2024 का दूसरा और आखिरी सूर्य ग्रहण पितृ विसर्जन अमावस्या के दिन होगा.
पितृ विसर्जन अमावस्या पर ज्ञात-अज्ञात पितरों का तर्पण, पिंडदान, कर्मकांड आदि किया जाता है जिससे प्रेत योनि में भटक रहे पितरों को शांति मिलती है. और उन्हें मोक्ष प्राप्त होता है. वहीं इस दिन पितरों को शास्त्रों में बताई गई विधि के अनुसार विदा भी किया जाता है. पितृ विसर्जन अमावस्या के दिन ग्रहण होने के कारण सूतक काल सुबह 9:13 से प्रारंभ हो जाएगा. ऐसे में यही सवाल व्यक्ति के मन में उठ रहा है कि आखिर इस दिन पितरों के निमित्त तर्पण, पिंडदान आदि कैसे किया जाएगा.
सूर्यग्रहण का समय
इन सभी सवालों के जवाब लोकल 18 पर देते हुए हरिद्वार के विद्वान ज्योतिषाचार्य पंडित श्रीधर शास्त्री ने बताया कि 2 अक्टूबर आश्विन मास की अमावस्या को सूर्य ग्रहण रात 9:13 से शुरू होगा, जो 3 अक्टूबर की सुबह 3:17 मिनट तक चलेगा. सूतक काल 2 अक्टूबर की सुबह 9:13 से प्रारंभ होगा. साल 2024 का यह सूर्य ग्रहण भारत समय के अनुसार रात के समय होगा जो देश में दिखाई नहीं देगा. यह सूर्य ग्रहण विश्व के पश्चिमी देशों अमेरिका, कनाडा, न्यूजीलैंड, अर्जेंटीना ब्राज़ील, कूक, फिजी, आईलैंड, आर्कटिक आदि देशों में देखा जा सकेगा.
सूर्य ग्रहण का भारत पर क्या पड़ेगा प्रभाव?
शास्त्रों के अनुसार इस सूर्य ग्रहण का भारत देश में कोई भी प्रभाव नहीं होगा. इसलिए इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा. वह बताते हैं कि इस दिन व्यक्ति द्वारा किए गए धर्म-कर्म और शुभ कार्यों का कोई दोष नहीं लगेगा. व्यक्ति द्वारा किए गए धर्म कर्म और शुभ कार्यों का शुभ फल प्राप्त होगा.