केंद्रीय वित्त मंत्रालय के अनुसार, चालू वित्त वर्ष 2024-25 के पहले पांच महीनों (अप्रैल-अगस्त) में डिजिटल भुगतान का मूल्य बढ़कर 1,669 लाख करोड़ रुपये हो गया। मंत्रालय ने कहा है कि इस अवधि के दौरान डिजिटल भुगतान की लेनदेन की संख्या 8,659 करोड़ तक पहुंच गई। आंकड़ों के अनुसार यूपीआई लेनदेन का मूल्य 138 प्रतिशत की सीएजीआर (वार्षिक वृद्ध दर) से 2017-18 के 1 लाख करोड़ रुपये बढ़कर 2023-24 में 200 लाख करोड़ रुपये हो गया। इसके अतिरिक्त, पिछले 5 महीनों (अप्रैल-अगस्त वित्त वर्ष 2024-25) में यूपीआई लेन-देन का मूल्य बढ़कर 101 लाख करोड़ रुपये हो गया।
वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि भारत में डिजिटल भुगतान में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। डिजिटल भुगतान लेनदेन की कुल संख्या वित्त वर्ष 2017-18 के 2,071 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 18,737 करोड़ हो गई।
मंत्रालय ने कहा, "चालू वित्त वर्ष 2024-25 के आखिरी 5 महीनों (अप्रैल-अगस्त) के दौरान लेन-देन की संख्या 8,659 करोड़ तक पहुंच गई है। लेन-देन का मूल्य 11 प्रतिशत की सीएजीआर के साथ 1,962 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 3,659 लाख करोड़ रुपये हो गया। इसके अतिरिक्त, चालू वित्त वर्ष 2024-25 के आखिरी 5 महीनों (अप्रैल-अगस्त) में कुल लेनदेन मूल्य बढ़कर 1,669 लाख करोड़ रुपये हो गया।"
यूपीआई से डिजिटल भुगतान में आई क्रांति
मंत्रालय ने यह भी बताया कि यूपीआई भारत के डिजिटल भुगतान पारिस्थितिकी तंत्र की आधारशिला बना हुआ है। मंत्रालय के अनुसार यूपीआई ने देश में डिजिटल भुगतान में क्रांति ला दी है, वित्त वर्ष 2017-18 में जो यूपीआई लेनदेन 92 करोड़ था, वह वित्त वर्ष 2023-24 में 129 प्रतिशत की सीएजीआर के साथ बढ़कर 13,116 करोड़ हो गया।
वित्त मंत्रालय ने यह भी कहा कि UPI जैसी तेज भुगतान प्रणालियों को अपनाने में लाने के प्रयासों ने वित्तीय लेन-देन के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव किया है, जिससे लाखों लोगों के लिए वास्तविक समय पर सुरक्षित और निर्बाध भुगतान संभव हुआ है। अन्य देशों में भारत के डिजिटल भुगतान विस्तार पर प्रकाश डालते हुए, मंत्रालय ने कहा कि यूपीआई और रूपे दोनों ही वैश्विक स्तर पर तेजी से विस्तार कर रहे हैं। इससे विदेशों में रहने और यात्रा करने वाले भारतीयों के लिए सीमा-पार लेन-देन निर्बाध रूप से संभव हो रहा है।
वर्तमान में, यूपीआई सात देशों में चलन में है। इनमें यूएई, सिंगापुर, भूटान, नेपाल, श्रीलंका, फ्रांस और मॉरीशस जैसे प्रमुख बाजार शामिल हैं। इसके जरिए भारतीय उपभोक्ता और व्यवसाय अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भुगतान कर और प्राप्त कर सकते हैं। मंत्रालय के अनुसार, हालिया विस्तार नई तकनीक (यूपीआई) के प्रयोग को और बढ़ाएगा। इसके साथ ही वित्तीय समावेशन में सुधार होगा और वैश्विक वित्तीय परिदृश्य में भारत का कद बढ़ेगा।