अमेरिका के विलममिंग्टन डेलावेयर में आयोजित क्वाड शिखर सम्मेलन की शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन को सुना दिया है।
उन्होंने कहा कि क्वाड लंबे समय तक टिकने और स्वीकार करने के लिए है।
यह किसी के खिलाफ नहीं है। प्रधानमंत्री ने कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था के लिए नियमों पर आधारित संगठन है और संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान और सभी मसलों को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने का समर्थन करता है।
संघर्षों का शांतिपूर्ण समाधान चाहता है क्वाड
पीएम मोदीन ने चीन को स्पष्ट संदेश देते हुए कहा कि यह संगठन चल रहे संघर्षों का शांतिपूर्ण समाधान चाहता है। उन्होंने कहा, ‘हमारी बैठक ऐसे समय में हो रही है जब विश्व तनावों से घिरा हुआ है।
ऐसे में साझा डेमोक्रेटिक वैल्यूज के आधार पर क्वाड का मिलकर साथ चलना मानवता के लिए महत्वपूर्ण है। हम किसी के खिलाफ नहीं हैं।
हम रूल बेस्ड इंटरनेशल ऑर्डर संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता के सम्मान और सभी मसलों के शांतिपूर्ण ढंग से हल निकालने का समर्थन करते हैं।
फ्री, ओपन, इनक्लूजिव और समृद्ध हिंद प्रशांत ही हमारी साझा प्रतिबद्धता है। हमने मिलकर स्वास्थ्य, सुरक्षा, क्रिटिकल ऐंड इमर्जिंग टेक्नॉलजी, कपैसिटी बिल्डिंग, क्लाइमेट चेंज जैसे क्षेत्रों में कई सकारात्मक और समावेशी इनेशेटिव लिए हैं। हमारा संदेश साफ है क्वाड सहयोग के लिए है । 2025 में क्वाड लीडर्स समिट का आयोजन भारत में करने में हमें खुशी होगी।’
भारत की खूब हुई तारीफ
क्वाड के नेताओं ने हिंद महासागर में भारत की भूमिका को लेकर प्रधानमंत्री मोदी और भारत की जमकर तारीफ की। जापान के प्रधानमंत्री किशिदा ने वॉइस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट के आयोजन का समर्थन करने की बात कही।
वहीं ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री अल्बानीज ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में हिंद महासागर में महाशक्ति बनकर उभरा है। राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा कि अमेरिका को भी भारत के अनुभवों से बहुत कुछ सीखने की जरूरत है।
पीएम मोदी ने क्वाड को वैश्विक भलाई की शक्ति बताया। उन्होंने कहा कि क्वाड लंबे समय तक टिकने और स्वीकार किए जाने के लिए है।
चीन को जवाब देने के लिए ही बना है क्वाड
बता दें कि इस साल क्वाड लीडर्स समिट भारत में ही होने वाली थी लेकिन जो बाइडेन इसे अपना गृह प्रांत में करवाना चाहते थे। जो बाइडेन का कार्यकाल जल्द ही खत्म होने वाला है।
अमेरिका में नवंबर में ही राष्ट्रपति चुनाव होने जा रहे हैं। बता दें कि इस चतुष्कोणीय गठबंधन का गठन ही चीन को जवाब देने के लिए किया गया है।
हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन के आक्रामक रवैये को देखते हुए भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान साथ आए हैं। 2017 में चारों देशों ने मिलकर संगठन बनाया और इस संगठन से चीन चिढ़ता है।
क्वाड देशों, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, भारत और जापान ने एक स्वर में दक्षिण चीन सागर को लेकर चिंता जताई है। बीजिंग का बिना नाम लिए क्वाड के डेक्लेरेशन में कहा गया, पूर्वी और दक्षिणी चीन सागर की स्थिति को लेकर पर हम गंभीर हैं।
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