प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय क्वाड समूह की मीटिंग में भाग लेने के लिए अमेरिका गए हुए हैं।
क्वाड की मीटिंग में अमेरिका समेत सभी सदस्य देशों ने दक्षिणी चीन सागर और एशिया में चीन की बढ़ती आक्रामकता को सबसे बड़ा खतरा माना।
चीन के सरकारी मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने क्वाड शिखर सम्मेलन के ऊपर अपनी राय रखते हुए कहा कि अमेरिका, चीन के साथ अपनी प्रतिस्पर्धा को बढ़ाने के लिए क्वाड के रूप में एक छोटा समूह बना रहा है, लेकिन इन चारों देशों के राष्ट्रीय हित अलग-अलग हैं, इन देशों के साथ चीन के भी महत्वपूर्ण और पुराने संबंध हैं इसलिए इस समूह का भविष्य अंधकारमय और अनिश्चितताओं से भरा हुआ है।
दरअसल, चीन की बढ़ती आक्रामकता को ही काउंटर करने के लिए क्वाड समूह को फिर से एक्टिव किया गया था। अमेरिका के राष्ट्रपति ने इस सम्मेलन के बाद हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि चीन हमारी लगातार परीक्षा ले रहा है।
उसका एशिया-प्रशांत क्षेत्र में उसका आक्रामक व्यवहार जारी है। बाइडन ने कहा कि क्वाड का मानना है कि तीव्र प्रतिस्पर्धा के समय गहन कूटनीति का होना बहुत जरूरी है।
हालांकि क्वाड के सभी सदस्यों ने यह समझाने की कोशिश भी की कि वह केवल चीन को लेकर नहीं बैठे हुए हैं। एक अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि चीन इस क्वाड शिखर सम्मेलन के एजेंडे में था।
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन एक प्रमुख देश है और यह उसी क्षेत्र के विषय में किया गया एक सम्मेलन है और चीन यहां पर निश्चित रूप से एक चुनौती है।
उन्होंने कहा कि लेकिन इस सम्मेलन के एजेंडे में चीन के अलावा भी बहुत सारे मुद्दे थे, जिन पर सभी सदस्य देशों की विस्तार से चर्चा हुई।
चीनी मीडिया बोला- अमेरिका कोशिश कर ले, पर इसका भविष्य अनिश्चित
चीन के सरकारी मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने इस शिखर सम्मेलन को लेकर कहा कि अमेरिका में होने वाले इस सम्मेलन में चीन ही प्रमुख मुद्दे के रूप में होगा। उसके मुताबिक अमेरिका क्वाड के जरिए चीन और अमेरिका के बीच चल रही आर्थिक प्रतिस्पर्धा में बाइडेन प्रशासन की विरासत को मजबूत करना चाह रहा है।
लेकिन क्वाड के सदस्य देशों के बीच अलग-अलग रणनीतिक हितों को लेकर मतभेद हैं। इन देशों के चीन के साथ भी आर्थिक रूप से घनिष्ठ संबंध हैं। ऐसे में अमेरिका एशिया प्रशांत क्षेत्र में जो विभाजनकारी खेल खेलना चाहता है उसके भविष्य में ऐसे ही चलते रहने की कोई उम्मीद नहीं है।
ग्लोबल टाइम्स ने लिखा कि अमेरिका क्वाड को चीन के खिलाफ एक छोटे समूह के रूप में विकसित करके एशिया प्रशांत क्षेत्र मे अशांति फैलाना चाहता है।
अमेरिका का इसमें फायदा यह होगा कि अगर इस क्षेत्र में अशांति होती है तो यहां के देश अपने सैन्य साजो सामान के लिए अमेरिका के ऊपर जरूरत से ज्यादा निर्भर होंगे। इससे अमेरिका के वैश्विक स्तर पर वर्चस्व को मजबूती मिलेगी।
क्वाड के सदस्यों के अपने विचार, भविष्य अनिश्चित- ग्लोबल टाइम्स
चीनी विश्लेषकों के अनुसार क्वाड के सदस्य देश भारत, ऑस्ट्रेलिया और जापान के अपने-अपने रणनीतिक महत्व और विचार हैं।
हालांकि इन सभी के लिए चीन एक महत्वपूर्ण रणनीतिक बिंदु हो सकता है लेकिन हमें इन देशों के साथ चीन के आर्थिक संबंधों को भी नहीं भूलना चाहिए। इन आर्थिक संबंधों का लंबे समय तक बदलना संभव नहीं है, और न ही इनको बदला जा सकता है।
इसलिए यह आर्थिक संबंध एशिया-प्रशांत क्षेत्र में किसी भी प्रकार के टकराव और विभाजन को बढ़ावा देने वाले अमेरिकी प्रयास को चुनौती देंगे, और यह सुनिश्चित करेंगे कि इस क्षेत्र में शांति बनी रहे।
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