भोपाल। देशभर के सभी सरकारी दफ्तरों को पेपरलेस करने की मंशा से 9 साल पहले डिजिटल इंडिया योजना की शुरुआत की गई। इसके बावजूद प्रदेश के कई विभागों की वेबसाइट कई महीनों ही नहीं, बल्कि सालों से अपडेट नहीं की गई हैं। अगर कोई व्यक्ति सरकार की योजनाओं या सरकार के वर्तमान सर्कलर, नोटिफिकेशन या टेंडर की जानकारी ऑनलाइन लेना चाहे, तो यह मुमकिन नहीं है। हद तो यह देखने को मिल रहा है कि कई विभागों के अधिकारी बदल गए हैं, लेकिन वेबसाइट पर अभी भी उनका नाम दर्ज है। जिम्मेदार अधिकारी अव्यवस्था को ठीक करवाने में दिलचस्पी नहीं ले रहे, जिसके कारण यह हालात बने हैं।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 जुलाई 2015 को डिजिटल इंडिया की लाँचिंग की, जिसके बाद प्रदेशभर के सरकारी दफ्तरों में लागू करवाया गया। अब अधिकारियों व कर्मचारियों को इसे अमल में लाने के लिए पसीने छूट रहे हैं। हालांकि जनसंपर्क, गृह, जेल एवं सुधारात्मक सेवाएं, जल संसाधन, जनजातीय कार्य, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा, महिला एवं बाल विकास विभाग, स्कूल शिक्षा विभाग, सहकारिता, उच्च शिक्षा, पंचायत एवं ग्रामीण विकास, नगरीय विकास एवं आवास, किसान कल्याण तथा कृषि विभाग की वेबसाइट हमेशा अपडेट रहती है।।
सतना के लालचंद लालवानी सरकारी विभागों में फायर सेफ्टी किट की सप्लाई करने का काम करते हैं। इस व्यवसाय को बढ़ाने के लिए उन्होंने उद्योग विभाग के जिला अधिकारियों से संपर्क करने के लिए विभाग की वेबसाइट पर क्लिक किया। लेकिन, उन्हें अधिकारियों के संपर्क नंबर नहीं मिले। सागर के नरेन्द्र खटीक कहते हैं कि उन्हें उद्योग विभाग की वेबसाइट में हिंदी में कोई जानकारी नहीं मिल रही। कटनी के रिजवान खान जिले में बिगड़ी परिवहन व्यवस्था की जानकारी प्रमुख सचिव तक पहुंचाना चाहते हैं लेकिन विभाग के पोर्टल में फैज अहमद किदवई का नाम है जो एक साल से अधिक समय से दिल्ली में पदस्थ हैं। इस संबंध में अपर मुख्य सचिव विज्ञान और प्रोद्योगिकी संजय दुबे से कई बार संपर्क किया लेकिन वे उपलब्ध नहीं हो सके। राजस्व विभाग के प्रमुख सचिव वर्तमान में विवेक पोरवाल हैं, पर पोर्टल में निकुंज श्रीवास्तव पीएस के नाम पर दर्ज हैं। जबकि श्रीवास्तव यूएसए में विश्व बैंक के कार्यपालक निदेशक के वरिष्ठ सलाहकार के पद पर नियुक्त हो चुके हैं। राज्य सरकार की अधिकांश अधिकृत वेबसाइट अपडेट नहीं होने से प्रदेश ही नहीं बल्कि देश तथा अन्य देशों में बैठे लोग आवश्यक जानकारी उपलब्ध नहीं कर पा रहे हैं। प्रदेश में करीब 120 सरकारी पोर्टल हैं। सामान्य प्रशासन विभाग ने कई बार विभागों को अपडेट रहने पत्र भी लिखे हैं। मंत्रालय में बैठ रहे विभागीय अफसर भी हर दिन अपना पोर्टल देखते हैं फिर भी खामियां नहीं पकड़ पा रहे।
प्रदेश में जिन विभागों के पोर्टल अपडेट नहीं हैं उनमें परिवहन विभाग भी एक है। परिवहन का प्रभार एसीएस एसएन मिश्रा के पास है लेकिन पोर्टल में नाम नहीं। भोपाल के आरटीओ संजय तिवारी का नाम मोबाइल नंबर के साथ दर्ज है जबकि वे सेवानिवृत्त हो चुके हैं। वाणिज्यिक कर विभाग के पोर्टल पर हिंदी में जानकारी नहीं होने पर शिवाजी नगर भोपाल के अरुणेन्द्र कहते हैं कि वे कई बार जीएसटी आदि के बारे में समझ नहीं पाते हैं। धार्मिक न्यास, धर्मस्व विभाग की वेबसाइट पर सीधी जिले के प्रेम प्रकाश पांडे अपने पिता को मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना में अयोध्या भेजना चाहते हैं। उन्हें ऐसी कोई जानकारी नहीं मिल रही कि जिला, तहसील और ब्लॉक स्तर पर अधिकारियों के नंबर मिल सकें, जिससे योजना के बारे में पता कर पाएं। वन विभाग की वेबसाइट पर आईएफएस अफसरों के पदस्थ स्थान बताया गया है पर उनके संपर्क नंबर नहीं है। औद्योगिक नीति की वेबसाइट अंग्रेजी में है। इससे लोगों को हिंदी में जानकारी उपलब्ध होने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जिला उद्योग अधिकारियों की जानकारी भी नहीं है। खेल एवं युवक कल्याण विभाग का पोर्टल अंग्रेजी में है। इसमें जिला खेल अधिकारियों के संपर्क नम्बर नहीं हैं। यही कारण है कि 21 सितंबर के दिन वेबसाइट के विजिटर्स संख्या महज 263 थी। वित्त विभाग की वेबसाइट पर केंद्र सरकार द्वारा राज्य के विभिन्न विभागों को दी जा रही अंश राशि का डिटेल अपडेट नहीं होता। शनिवार को देखा गया कि पहले तिमाही में किसी भी विभाग को राशि नहीं मिली है। हालांकि इस वेबसाइट में अन्य जानकारी हिंदी और अंग्रेजी में सुलभ हैं। बजट संचालक तन्वी सुंद्रियाल का कहना है कि ऐसा होना नहीं चाहिए, फिर भी चेक करा लेंगे।