अदालत ने धोखाधड़ी से जुड़े मामले में आरोपी त्रिलोकचंद चौधरी की अंतरिम जमानत बढ़ाने से संबंधित याचिका खारिज कर दी। अडिशनल सेशन जज सुगंधा अग्रवाल की अदालत ने अपने फैसले में कहा कि आरोपी ने ऑर्डर अपने हक में कराने के लिए कोर्ट को गुमराह किया। इसके लिए उसने अपोलो हॉस्पिटल के फर्जी मेडिकल रेकॉर्ड का सहारा लिया। अदालत ने आरोपी को तुरंत तिहाड़ जेल में सरेंडर करने के आदेश दिए। इसके साथ ही अदालत ने ऑर्डर की कॉपी साकेत थाने के SHO को भेजकर FIR दर्ज कर पूरे मामले की जांच के भी आदेश दिए हैं।
अलग-अलग हैंडराइटिंग और सिग्नेचर पर अदालत ने उठाए सवाल
अदालत ने जांच अधिकारी को आरोपी द्वारा दिए गए मेडिकल रेकॉर्ड की जांच करने के लिए कहा। जांच के बाद आईओ ने अदालत को बताया कि 11 सितंबर 2024 को अपोलो हॉस्पिटल के डॉ. एसके गौतम ने आरोपी की कोई जांच नहीं की। आरोपी ने अदालत में 2 सितंबर 2024 और 11 सितंबर 2024 के जो दस्तावेज दिए उनकी हैंडराइटिंग अलग-अलग है। साथ ही दोनों रिपोर्ट पर डॉक्टर के सिग्नेचर भी अलग-अलग हैं।
फर्जी दस्तावेजों का खुलासा
एक रिपोर्ट पर डॉक्टर की मुहर है, जबकि दूसरे पर नहीं। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि आरोपी जिस बीमारी की बात कर रहा है। उसका इलाज सरकारी हॉस्पिटल में हो सकता है। आरोपी ने फैसला अपने हक में कराने के लिए कोर्ट को गुमरा कर फर्जी मेडिकल दस्तावेज पेश किए। अदालत ने आरोपी को तुरंत सरेंडर करने का आदेश दिया। साथ ही पुलिस को फर्जी दस्तावेज से जुड़े मामले में एफआईआर दर्ज कर जांच करने का आदेश दिया।
हार्ट की बीमारी का हवाला
साउथ डिस्ट्रिक्ट की आर्थिक अपराध शाखा ने त्रिलोकचंद चौधरी के खिलाफ कई धाराओं में मामला दर्ज कर अरेस्ट किया था। फिर आरोपी ने चार सप्ताह की अंतरिम जमानत बढ़ाने के लिए साकेत कोर्ट में अर्जी दाखिल की। आरोपी के वकील ने बताया कि उनका मुवक्किल हार्ट से संबंधित बीमारी से पीड़ित है। 30 जून 2024 में कस्टडी के दौरान उसकी हालत ज्यादा बिगड़ गई। जेल अधिकारियों ने उसे इमरजेंसी में भर्ती कराया, लेकिन जेल के डॉक्टरों ने उसे सफदरजंग हॉस्पिटल रेफर कर दिया और स्टेंट डलवाने की सलाह दी थी। इसकी अंतरिम जमानत बढ़ाने के लिए उन्होंने अपोलो हॉस्पिटल के डॉक्टर द्वारा जारी किए गए मेडिकल सर्टिफिकेट का हवाला दिया।