श्रीलंका के नवनियुक्त राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके ने मंगलवार को संसद भंग करने संबंधी विशेष राजपत्र अधिसूचना पर हस्ताक्षर कर दिए।
अधिकारियों ने यह जानकारी दी। संसद मंगलवार मध्य रात्रि से भंग मानी जाएगी और चुनाव 14 नवंबर को होंगे। श्रीलंका में शनिवार को हुए राष्ट्रपति चुनाव से पहले दिसानायके ने कहा था कि वह संसद को तुरंत भंग कर देंगे और मध्यावधि चुनाव कराने का आदेश देंगे।
इससे पहले पिछली संसद अगस्त 2020 में गठित की गई थी। इसे निर्धारित समय से 11 महीने पहले ही भंग कर दिया गया है।
यह कदम उनके चुनावी वादे को पूरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास माना जा रहा है, जिसमें उन्होंने श्रीलंका में दशकों से चले आ रहे राजनीतिक परिवारों के शासन को बदलने का वादा किया था। एक विशेष गजट अधिसूचना के अनुसार, संसद का भंग होना आज रात 12 बजे से प्रभावी होगा और नए चुनाव 14 नवंबर को कराए जाएंगे। श्रीलंका की संसद को आखिरी बार अगस्त 2020 में बुलाया गया था।
संसद का कार्यकाल हालांकि अगस्त 2025 तक था, लेकिन इसे 11 महीने पहले ही समाप्त कर दिया गया है।
श्रीलंका अब धीरे-धीरे अपने सबसे बड़े आर्थिक संकट से उबर रहा है, जो 2020 में दक्षिण एशियाई देश पर भारी पड़ा था। उस समय लाखों श्रीलंकाई नागरिकों ने तत्कालीन राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था। हजारों प्रदर्शनकारियों ने कोलंबो में राष्ट्रपति महल पर धावा बोल दिया था, जिसके बाद राजपक्षे को देश छोड़कर भागना पड़ा था।
तत्कालीन प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने सत्ता संभाली और श्रीलंका की अर्थव्यवस्था को स्थिरता के साथ-साथ सड़कों पर शांति लौटाई।
पिछले हफ्ते श्रीलंका में आर्थिक संकट के बाद पहली बार चुनाव हुए और लाखों लोगों ने बदलाव के लिए मतदान किया।
लोगों के समर्थन से अनुरा कुमारा दिसानायके राष्ट्रपति चुने गए, जिन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ जोरदार अभियान चलाया और चुनावी वादा किया था कि वे भ्रष्टाचार को समाप्त करेंगे, परिवारवाद की राजनीति को खत्म करेंगे, अर्थव्यवस्था को मजबूत करेंगे, महंगाई कम करेंगे और बड़े सुधार करेंगे।
कोलंबो में राष्ट्रपति कार्यालय में अपने उद्घाटन भाषण के दौरान 55 वर्षीय दिसानायके ने कहा, “मैं लोकतंत्र की रक्षा और उसे बनाए रखने के प्रति समर्पण का वादा करता हूं। मैं ऐसे चुनौतीपूर्ण समय में कार्यभार संभाल रहा हूं।” उन्होंने अपने पहले भाषण में कहा, “हमारी राजनीति को साफ-सुथरा होना चाहिए और जनता ने एक अलग राजनीतिक संस्कृति की मांग की है। मैं उस बदलाव के लिए प्रतिबद्ध हूं।”
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