शहर के दिल में बसा, बाकरगंज की भीड़भाड़ से घिरा, एक ऐसा पेड़ खड़ा है जो समय की हर आंधी को झेलते हुए आज भी अपनी शान में कायम है. भीखमदास ठाकुरबाड़ी के आंगन में खड़ा यह मौलसरी का पेड़ न केवल 200 वर्षों से पटना की धरती पर अपनी जड़ें जमाए हुए है, बल्कि यह धार्मिक आस्था और औषधीय गुणों का अद्वितीय संगम भी है. 60 फुट की ऊंचाई और 5 फुट चौड़ाई वाले इस विशालकाय पेड़ को हाल ही में पटना नगर निगम के हेरिटेज ट्री सर्वे में शहर का सबसे पुराना पेड़ घोषित किया है. इसके इतिहास और महत्व को जानकर हर कोई चकित रह जाता है.
यह पेड़ धार्मिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण है. मौलसरी का पेड़ लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है, और इसे लगाने से आसपास समृद्धि बनी रहती है. यही कारण है कि पुराने समय में साधु-संत जहां भी रहते थे, वहां इस पेड़ को अनिवार्य रूप से लगाते थे. मिश्रा कहते हैं, ‘यह पेड़ भगवान का प्रिय है और इसकी मौजूदगी हमेशा सुख-समृद्धि का संकेत देती है.’
अद्वितीय फूल और फल
मौलसरी पेड़ के फूल अपनी छोटी आकृति और तीव्र सुगंध के लिए जाने जाते हैं. इस पेड़ के फूलों की महक इतनी खास होती है कि इसे जेब में रखने पर इत्र की तरह काम करता है. वहीं इसके फल छोटे और कसैले होते हैं. इसके औषधीय गुण इसे और भी विशेष बनाते हैं. भगवती शरण मिश्रा बताते हैं कि इस फूल की गजलें (मालाएं) काफी महंगी मिलती है और धार्मिक आयोजनों में विशेष रूप से उपयोग की जाती हैं.
औषधीय गुणों से भरा पेड़
मौलसरी पेड़ न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि इसका औषधीय उपयोग भी बेहद महत्वपूर्ण है. इसके पत्तों के रस से कुल्ला करने से दांतों की बीमारियों में आराम मिलता है. इसके अलावा इसकी छाल, पत्तियां, और फूल सभी औषधीय गुणों से भरपूर हैं. नियमित दातुन के रूप में इसका उपयोग करने से दांत मजबूत और चमकदार हो जाते हैं.
पटना के हेरिटेज पेड़ों की शान
पटना नगर निगम द्वारा किए गए सर्वे में यह पाया गया कि पटना शहर में 08 पेड़ 100 वर्ष से अधिक पुराने हैं. शहर में 29 वृक्ष 100 वर्ष या इससे अधिक पुराने हैं. 100 वर्ष वाले कुल 21 पेड़ हैं. इसके अतिरिक्त शहर में 80 वर्ष से 100 वर्ष के बीच उम्र के भी 16 पेड़ है. पुराने वृक्षों में सर्वाधिक बरगद है और 100 वर्ष से अधिक उम्र वाले 29 में से 15 वृक्ष बरगद के है.