कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को MUDA भूमि घोटाला मामले में हाईकोर्ट ने बड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने इस मामले में राज्यपाल के आदेश को चुनौती देने वाली उनकी याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि याचिका में प्रस्तुत तथ्यों की आगे जांच की जरूरत है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने टिप्पणी की कि राज्यपाल अभियोजन स्वीकृति देने के लिए सक्षम हैं।
बता दें कि, मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने राज्यपाल थावरचंद गहलोत द्वारा उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही शुरू करने के आदेश को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। यह मामला मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण से जुड़े भूमि घोटाले से जुड़ा है।
है क्या MUDA ?
मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) कर्नाटक में एक राज्य स्तरीय विकास एजेंसी है। इस एजेंसी का प्राथमिक उद्देश्य लोगों को किफायती आवास उपलब्ध कराना है। MUDA ने शहरी विकास गतिविधियों के दौरान अपनी ज़मीन खोने वाले व्यक्तियों के लिए एक योजना शुरू की है। 50:50 के नाम से जानी जाने वाली इस योजना के तहत, जिन लोगों की ज़मीन चली गई है, उन्हें विकसित ज़मीन का 50 प्रतिशत हिस्सा मिलेगा। इसे पहली बार 2009 में लागू किया गया था। हालांकि, 2020 में तत्कालीन भाजपा सरकार ने इस योजना को बंद कर दिया।
क्या आरोप है सिद्धारमैया के परिवार पर?
आरोप है कि योजना बंद होने के बाद भी MUDA ने 50:50 योजना के तहत भूमि अधिग्रहण और आवंटन जारी रखा। दावा किया जाता है कि इससे मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती को लाभ मिला। खास तौर पर, मुख्यमंत्री की पत्नी की 3 एकड़ और 16 गुंटा जमीन MUDA ने अधिग्रहित कर ली।