कोण्डागांव
कोण्डागांव जिले के माकड़ी ब्लॉक के ग्राम कालीबेड़ा की रहने वाली दिव्यांग जानकी नाग आज छत्तीसगढ़ की अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणास्रोत बन चुकी हैं। जानकी बचपन से ही दिव्यांग हैं पर अपनी शारीरिक चुनौतियों के बावजूद उन्होंने जीवन में संघर्ष करते हुए आज समाज में एक सफल उद्यमी के रूप में अपनी पहचान बनाई हैं। जानकी ने अपने आत्मविश्वास के बलबूते दिव्यांगता को अपनी सफलता की राह में रोड़ा बनने नहीं दिया। अपने मजबूत हौसले और आत्मविश्वास के बल पर उन्होंने न केवल अपने परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार किया, बल्कि कई ग्रामीणों को बैंकिंग सेवाएं उपलब्ध कराकर उन्हें आत्मनिर्भर बनने का अवसर भी दिया।
जानकी नाग का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ, जहां उनके माता-पिता और तीन भाई रहते हैं। उनके पिता खेती से घर चलाते थे लेकिन आमदनी इतनी नहीं थी कि परिवार की जरूरतें पूरी हो सकें। जानकी ने इन आर्थिक चुनौतियों का सामना करने के लिए वर्ष 2012 में गांव के मां सरस्वती स्व सहायता समूह से जुड़ने का निर्णय लिया। जानकी ग्रेजुएट हैं और उनके समूह की अन्य महिलाएं पढ़ी-लिखी नहीं थीं, इसलिए उन्हें समूह का लेखा-जोखा रखने का काम मिला। यहीं से जानकी की जीवन यात्रा में नया मोड़ आया।
बैंक सखी के रूप में ग्रामीणों तक पहुंचाई योजनाओं का लाभ
जानकी के जीवन में एक बड़ा परिवर्तन तब आया जब उन्होंने बिहान की पीआरपी दीदी से सुना कि वे बैंक सखी बनकर अपने गांव में रहते हुए बैंकिंग सेवाएँ प्रदान कर सकती हैं। नवंबर 2019 में उन्होंने ग्रामीण बैंक की बैंक सखी बनने का निर्णय लिया। यह फैसला उनके लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ। बैंक अधिकारियों और बिहान के सहयोग से जानकी ने अपने गाँव में बैंकिंग सेवाएँ शुरू कीं जिससे धीरे-धीरे ग्रामीण उनके पास अपने बैंकिंग लेन-देन के लिए आने लगे। जानकी ने गांव के लोगों को खाता खोलने, पैसे जमा करने, निकासी और ट्रांसफर जैसी बैंकिंग सेवाएं प्रदान कीं। इसके अलावा उन्होंने प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना और सुरक्षा बीमा योजना के लाभ भी ग्रामीणों तक पहुंचाए। अब तक वह लगभग 250 बचत बैंक खाते खोल चुकी हैं और 3000 मनरेगा मजदूरों और 4000 पेंशनभोगियों को बैंकिंग सेवाओं का लाभ पहुंचा चुकी हैं। इस तरह जानकी अब तक 5 करोड़ तक का लेन देन कर चुकी हैं।
सीएससी सेवाओं से आय में हुई बढ़ोत्तरी
जानकी ने 2020 में कॉमन सर्विस सेंटर की सेवाएं भी शुरू कीं जिसके माध्यम से वह ग्रामीणों को आयुष्मान कार्ड, ई-श्रम कार्ड, बिजली बिल भुगतान और मोबाइल रिचार्ज जैसी सुविधाएं प्रदान कर रही हैं। अब तक उन्होंने 450 से अधिक आयुष्मान कार्ड, 200 ईश्रम कार्ड और 500 से अधिक बिजली बिलों का भुगतान किया है। इन सेवाओं के माध्यम से ग्रामीणों को न केवल सुविधाएं मिलीं, बल्कि जानकी को भी अपनी आय बढ़ाने का अवसर प्राप्त हुआ।
कड़ी मेहनत और समर्पण से बनी एक सफल उद्यमी
जानकी की कड़ी मेहनत और समर्पण ने उन्हें एक सफल उद्यमी बना दिया है। बैंकिंग और सीएससी सेवाओं के जरिए जानकी अब प्रतिमाह करीब 6 हजार रुपये कमाती हैं और एक माह में उन्होंने अधिकतम 10 हजार रुपये तक का कमीशन अर्जित किया है। उनका यह काम न केवल उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बना रहा है, बल्कि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति में भी बड़ा बदलाव लेकर आया है। जानकी ने अपने परिवार को आर्थिक सहयोग प्रदान कर एक ट्रैक्टर और एक कार खरीदने में मदद की है। उनके भाई अब ट्रैक्टर के जरिए रोजगार पा रहे हैं, जिससे परिवार की आय में भी वृद्धि हुई है।
जानकी बताती हैं कि उनके घर में पहले ट्रैक्टर नहीं था लेकिन अब उनकी मदद से एक ट्रैक्टर खरीदा गया जो उनके भाइयों के लिए रोजगार का साधन बन चुका है। इसके अलावा उनके परिवार ने छह महीने पहले एक कार भी खरीदी है जिसके लिए उन्होंने आर्थिक सहयोग किया। जानकी का यह योगदान उनके परिवार की स्थिति को स्थिर और बेहतर बनाने में मददगार साबित हुआ है।
जानकी ने न केवल अपने परिवार को आर्थिक मजबूती दी, बल्कि समाज में भी अपना योगदान दिया है। उनकी बैंक सखी के रूप में सेवाएं न केवल गाँव के लोगों को बैंकिंग सुविधाएँ उपलब्ध कराती हैं बल्कि वह उनके जीवन को भी आसान बनाती हैं। मनरेगा मजदूरों से लेकर पेंशनभोगियों तक सभी उनके पास बैंकिंग सेवाओं के लिए आते हैं। उनके काम की बदौलत गाँव के लोगों को बैंक जाने की जरूरत नहीं पड़ती और वे अपने वित्तीय कार्य जानकी के माध्यम से आसानी से कर रहे हैं।
जानकी अपने बीसी सखी के काम में बहुत रुचि रखती हैं और उन्होंने यह तय किया है कि वह अपना जीवन इसी सेवा को समर्पित करेंगी। उन्होंने शादी नहीं की और इसका कारण बताते हुए कहती हैं कि उन्हें अपने काम से बहुत प्यार है और वह इसे जारी रखना चाहती हैं। जानकी का मानना है कि वह अपने काम के जरिए समाज के हर व्यक्ति को लाभ पहुँचा सकती हैं और यही उनका उद्देश्य है।
जानकी की सफलता में बिहान की भूमिका
जानकी ने अपनी सफलता के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन अंतर्गत संचालित ‘बिहान’ के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय को धन्यवाद देते हुए उनके प्रति आभार प्रकट किया। उनका कहना है कि बिहान योजना के बिना वह आज इस मुकाम तक नहीं पहुँच पातीं। जानकी अब एक सफल उद्यमी हैं और उनकी कहानी समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुकी है। उन्होंने यह साबित कर दिया है कि शारीरिक चुनौतियों को मात देकर भी सफलता प्राप्त की जा सकती है।