सतना के बिरला रोड स्थित सिद्धदात्री माता मंदिर है. जिसे स्थानीय लोग डिपो मंदिर के नाम से जानते हैं. शहरवासियों के लिए एक प्रमुख आस्था का केंद्र बन चुका है. लगभग 70 साल पुराने इस मंदिर में देवी दुर्गा के नौ रूपों और हनुमान जी की प्रतिमाएं स्थापित हैं. जो भक्तों के लिए विशेष श्रद्धा का प्रतीक हैं
मंदिर परिसर में एक 40 साल पुराना बेल का पेड़ है. जहां भक्त अपनी मन्नतें बांधते हैं. यह पेड़ मंदिर की धार्मिक महत्ता को और बढ़ाता है. इसके अलावा, 14 अप्रैल 1998 से यहाँ 21 अखंड ज्योतियां लगातार जल रही हैं, जो मंदिर की पवित्रता और आस्था को दर्शाती हैं.
आरती और पूजा विधि
मंदिर में प्रतिदिन पांच बार आरती होती है. पुजारी मृत्युंजय शुक्ला ने बताया कि मंदिर के पट सुबह 4 बजे खुलते हैं. सफाई के बाद पहली आरती सुबह 7 बजे होती है. अन्य आरतियां 9:30 बजे, 12 बजे, 7 बजे और रात 9 बजे की जाती हैं. खास बात यह है कि संध्या आरती के दौरान 108 दीपों से पूजा की जाती है. जो मंदिर की धार्मिक पवित्रता को और बढ़ाता है.
मंदिर का इतिहास और विकास
मंदिर के पुराने भक्त सुधाकर सिंह चौहान के अनुसार, इसका ढांचा डिपो के दो कर्मचारियों ने तैयार किया था. इसके पास एक पंडित द्वारा पीपल का पेड़ लगाया गया था. यहां धीरे-धीरे श्रद्धालुओं का आना-जाना शुरू हुआ. एक चायवाले ने पूजा-पाठ की परंपरा शुरू की. पहले नवरात्रि के समय माता की मूर्ति स्थापित की जाती थी. जिसे बाद में विसर्जित किया जाता था. लेकिन समय के साथ माता सिद्धदात्री की प्रतिमा को स्थायी रूप से विराजित कर दिया गया.