बेंगलुरु में विधान सौध गलियारे में 27 फरवरी को ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ का नारा लगाने के आरोप में 3 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
यह जानकारी पुलिस ने सोमवार को दी। राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस नेता सैयद नसीर हुसैन की जीत के बाद उनके समर्थकों ने पाकिस्तान के समर्थन में नारे लगाए थे।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने आरोपों की सत्यता की जानने के लिए सरकारी फॉरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला को जांच का आदेश दिया था।
एफएसएल रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने तीन व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि एक आरोपी बेंगलुरु के आरटी नगर का रहने वाला है, दूसरा हावेरी जिले के ब्यादगी का और तीसरा आरोपी दिल्ली का रहने वाला है। ब्यादगी का रहने वाला आरोपी मिर्च व्यापारी बताया जा रहा है।
इस बीच, भाजपा ने ‘क्लू4 एवीडेंस फॉरेंसिक इन्वेटिगेशंस प्राइवेट लिमिटेड’ की ओर से तैयार की गई जांच रिपोर्ट अपने सोशल मीडिया हैंडल पर पोस्ट की।
इस रिपोर्ट पर शहर के ‘संवदा फाउंडेशन’ की ओर से ऑडियो फॉरेंसिक परीक्षक फणींद्र बी एन ने हस्ताक्षर किए हैं। गैर-लाभकारी संगठन ‘संवदा फाउंडेशन’ कथित तौर पर RSS से जुड़ा हुआ है।
बीजेपी ने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस सांसद के करीबी सहयोगियों को ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।
भाजपा की कर्नाटक यूनिट ने एक्स पर पोस्ट किया, ‘राहुल गांधी ‘भारत तोड़ो’ का स्टंट करने में व्यस्त हैं। बेंगलुरु पुलिस ने ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारे लगाने के लिए उनके करीबी सहयोगियों को गिरफ्तार किया है।
राष्ट्र-विरोधी कांग्रेस कार्यकर्ताओं पर देशद्रोह का आरोप लगाया जाना चाहिए और UAPA के तहत इसकी जांच हो।’
वीडियो की जांच पर ही उठ रहे सवाल
फणींद्र ने कहा कि उनकी राय में इस घटना की वीडियो से ‘छेड़छाड़ नहीं की गई और यह एक बार में रिकार्ड की गई है।’ उन्होंने कहा कि इस मामले में यह प्रश्न कि क्या ‘नासिर साब जिंदाबाद’ कहा गया या ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’, तो उपरोक्त विश्लेषण से पता चलता है कि ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ कहने की संभावना अधिक है।
राज्य के गृह मंत्री जी. परमेश्वर ने सवाल किया कि क्या यह रिपोर्ट तैयार करने वाली व्यक्ति की अपनी कोई प्रयोगशाला है और क्या उन्होंने विश्लेषण किया है।
उन्होंने कहा, ‘हम यह पता लगाएंगे कि उन्होंने किसकी अनुमति से यह किया, किसने उन्हें अनापत्ति प्रमाणपत्र दिया और क्या उन्हें ऐसी रिपोर्ट सार्वजनिक करने का अधिकार है।’