इन दिनों पितृपक्ष चल रहा है. 17 सितंबर से शुरू हुआ पितृ पक्ष 2 अक्टूबर को समाप्त हो जाएगा. आमतौर पर 15-16 दिनों तक होता है, जो भाद्रपदा पूर्णिमा से लेकर अश्विन अमावस्या तक चलता है. मुख्य रूप से पितृ पक्ष मृत पूर्वजों के सम्मान, उनकी आत्मा को शांति प्रदान करने और मोक्ष प्राप्ति के लिए मनाया जाता है. इन दिनों लोग अपने पितरों को सम्मान देने के लिए उनका श्राद्ध और तर्पण करते हैं. ऐसा माना जाता है कि इन दिनों में पूर्वज धरती पर आते हैं और पितरों के लिए तर्पण करने वाले परिवारों को आशीर्वाद देते हैं.
जैसा कि आप जानते हैं कि पितृपक्ष में पितरों का तर्पण, पिंडदान, श्राद्ध आदि किया जाता है. मान्यता है कि पितर इस दौरान पृथ्वी पर आते हैं. ऐसे में लोग अपने पूर्वजों का आशीर्वाद पाने के लिए उन्हें तृप्त करते हैं. इस दौरान ब्राह्मणों को लोग भोजन भी कराते हैं, ताकि पितरों की आत्मा को शांति मिले. उनका आशीर्वाद प्राप्त हो और वे प्रसन्न होकर यहां से लौटें. मान्यता है कि पितृपक्ष में ब्राह्मणों को भोजन कराने से शुभ होता है. लेकिन, भोजन में क्या देना चाहिए, इस बात का खास ख्याल रखना जरूरी होता है. इस दौरान कुछ चीजों को भूलकर भी उनकी थाली में नहीं परोसनी चाहिए. खासकर, दो तरह की सब्जियां तो बिल्कुल भी नहीं खिलानी चाहिए.
पितृ पक्ष में कौन सी सब्जी नहीं खिलानी चाहिए?
पितृ पक्ष में यदि आप ब्राह्मणों को भोजन नहीं कराते हैं तो यह अधूरा माना जाता है. ऐसे में श्राद्ध भी पूरा नहीं होता है. ऐसी मान्यता है कि जब आप श्राद्ध के दौरान ब्राह्मणों को भोजन कराते हैं तो वह सीधा पितरों तक पहुंचता है. आप भी ब्राह्मणों को भोजन कराने का सोच रहे हैं तो सब्जी खरीदते समय पत्ता गोभी और कुम्हड़ा की सब्जी ना खरीदें और ना ही पकाएं. कुम्हड़ा को कोहड़ा, कद्दू, पेठा, एश गार्ड आदि भी कहते हैं. आयुर्वेद में बेशक कुम्हड़ा के पौधे को औषधीय माना गया है, लेकिन पितृपक्ष के दौरान ब्राह्मण भोज में इन दोनों ही सब्जियों को शामिल करना शुभ नहीं होता है. इन सब्जियों को पितर ग्रहण नहीं करते. वे नाराज होकर वापस लौट सकते हैं. ऐसे में श्राद्ध कर्म के दौरान इन्हें खाने या खिलाने से बचना ही चाहिए.
पितृपक्ष में ब्राह्मणों को क्या खिला सकते हैं
ब्राह्मणों को भोजन कराएं तो उड़द की दाल, गाय के दूध से बनी खीर, तोरई की सब्जी आदि खिला सकते हैं.