ढाका। बांग्लादेश में कट्टरपंथियों की धमकियों के चलते अल्पसंख्यकों में दुर्गा पूजा का उत्साह फीका है। देश में बढ़ती हिंसा के बीच, ढाका में राम कृष्ण मिशन ने इस साल कुमारी पूजा का आयोजन नहीं करने का फैसला लिया है। मुख्य पूजा सभागार के अंदर ही मनाई जाएगी। एक वरिष्ठ कार्यकर्ता ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि कट्टरपंथियों ने पूजा के दौरान किसी भी प्रकार के साउंड का इस्तेमाल न करने की चेतावनी दी है। इस स्थिति से अल्पसंख्यक समुदाय में डर का माहौल है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक बांग्लादेश में दुर्गा पूजा के आयोजन को लेकर कट्टरपंथियों ने माइक और संगीत वाद्ययंत्रों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने की धमकी दी है। पूजा समितियों को पंडाल स्थापित करने के लिए पांच लाख टका फिरौती देने की मांग की जा रही है। बांग्लादेश के गृह मंत्री ने भी कहा था कि दुर्गा पूजा के समय नमाज से पहले के साउंड और पूजा रोकने की बात कही थी।
बांग्लादेश की सरकार ने आगामी त्योहार के दौरान पूजा पंडालों और हिंदुओं की सुरक्षा का आश्वासन दिया है, लेकिन अल्पसंख्यक कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह सब दिखावा है। अल्पसंख्यक असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। 1971 में जब बांग्लादेश का गठन हुआ, तब अल्पसंख्यक समुदाय की जनसंख्या 21 फीसदी थी, लेकिन अब यह घटकर मात्र 8.7 रह गई है। अल्पसंख्यक कार्यकर्ताओं का मानना है कि मौजूदा शासन बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के अस्तित्व को समाप्त करने की कोशिश कर रहा है। बांग्लादेश में सुरक्षा की चिंता और धार्मिक असहिष्णुता के बीच, अल्पसंख्यक समुदाय की आवाजें दबती जा रही हैं, जिससे उनके लिए इस त्योहार का मनाना और भी चुनौतीपूर्ण हो गया है।