दिल्ली। यौन उत्पीड़न का शिकार होने वाली नाबालिग लड़कियों को अस्पतालों में निशुल्क सुविधा नहीं मिलने पर दिल्ली हाई कोर्ट ने चिंता जताई। न्यायमूर्ति प्रतिबा एम सिंह व न्यायमूर्ति अमित शर्मा की पीठ ने दिशा निर्देश दिए कि अगर कोई यौन उत्पीड़न पीड़िता किसी अस्पताल, लैब, क्लीनिक व नर्सिंग होम जाती है, तो उसे वापस नहीं भेजा जाएगा और निशुल्क सर्जरी, जांच समेत अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी।
1 दुष्कर्म पीड़िता के मामले पर सुनवाई के बाद अदालत ने कहा कि स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के दिशा निर्देश व भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता- 2023 (BNSS) में प्रविधान के बावजूद भी यौन उत्पीड़न का शिकार होने वाली पीड़िताओं को निशुल्क चिकित्सा लेने के लिए परेशानी का सामना करना पड़ता है।
नियमों उल्लंघन करने पर जुर्माना या 1 साल की सजा
अदालत ने कहा कि केंद्र व दिल्ली सरकार के साथ ही क्लिनिक व नर्सिंग होम को निशुल्क चिकित्सा सुविधा के नियम का अनुपालन करने की जरूरत है। अदालत ने इस संबंध में विशिष्ट आदेश जारी करने का निर्देश दिया कि अगर कोई प्रविधान का उल्लंघन करता है, तो उसे जुर्माना या 1 साल के कारावास या दोनों के लिए दंडित किया जाएगा।
पहचान पत्र की मांग नहीं होगी
पीठ ने निर्देश दिया कि जरूरत होने पर पीड़िता को मानसिक व शारीरिक काउंसलिंग दी जाएगी और उसे हर संभव चिकित्सा सलाह दी जाएगी। अगर कोई पीड़िता आपात स्थिति में अस्पताल आई है, तो उसे भर्ती करने के लिए पहचान पत्र देने का दबाव नहीं बनाया जाएगा। एक अस्पताल से दूसरे अस्पताल में स्थानांतरित करने के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा।