केरल पुलिस ने नेदुंबसेरी अंग तस्करी मामले के सरगना 41 वर्षीय बेलमकोंडा राम प्रसाद उर्फ प्रथपन को हैदराबाद के एक होटल से गिरफ्तार किया है, जो आंध्र प्रदेश का रहने वाला है। प्रसाद ने नेदुंबसेरी मामले के साथ अन्य समान रैकेट में कथित रूप से भूमिका निभाई, जिसे पूछताछ के लिए केरल के अनुवा ले जाया गया है। हालांकि, इस मामले में पुलिस पहले ही दो मलयाली लोग, त्रिशूर के 30 वर्षीय सबीथ नासर और कलमस्सेरी निवासी 43 वर्षीय साजिथ श्यामराज को पहले ही हिरासत में ले चुकी है।
पुलिस के अनुसार, केरल में सामने आए नेदुंबसेरी मामले की जांच से पता चला है कि प्रसाद को ऐसे डोनर खोजने का काम सौंपा गया था, जो प्राप्तकर्ताओं से मेल खा सकें। प्रसाद ने 60 फीसदी से ज्यादा डोनर मैच कराए। उसके किसी भी मामले में अस्वीकृति नहीं हुई। पुलिस का मानना है कि अंग प्रत्यारोपण से पहले उसने डोनरों का हैदराबाद की प्रयोगशाला में प्रारंभिक परीक्षण कराया था। रिपोर्ट के मुताबिक, प्रसाद ने आंध्र प्रदेश में बड़ी संख्या में लोगों को अंग तस्करी के लिए शामिल किया है।
पुलिस पूछताछ में त्रिशूर के सबीथ नासर ने बताया कि उसने 2019 में अपनी किडनी बेची थी, जिसके बाद वह अंग तस्करी के रैकेट में शामिल हो गया। नासर के बयान के बाद पुलिस ने हैदराबाद में जांच शुरू की। इस दौरान पता चला कि ईरान, कुवैत और श्रीलंका में अंग तस्करी का एक बहुत बड़ा रैकेट चल रहा था।मामले की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) का नेतृत्व कर रहे एर्नाकुलम जिला पुलिस प्रमुख वैभव सक्सेना ने बताया कि राम प्रसाद अपनी किडनी बेचने की कोशिश कर रहा था। स्वास्थ्य समस्याओं के चलते वह किडनी तो नहीं बेच पाया, लेकिन खरीदने वाला बन गया। इस दौरान उसका संपर्क अंग तस्करी के गिरोह से हुआ।