बिहार में सत्तारूढ़ एनडीए ने लोकसभा चुनाव में मिथिलांचल या यूं कहें कि उत्तरी बिहार में अपना दबदबा बरकरार रखा है. मिथिलांचल की मधुबनी, दरभंगा, समस्तीपुर, उजियारपुर और सीतामढ़ी में एनडीए के प्रत्याशी विजयी रहे. हालांकि महागठबंधन ने इन इलाकों में सेंध लगाने की पूरी कोशिश की थी, लेकिन जदयू के अध्यक्ष नीतीश कुमार की सोशल इंजीनियरिंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे के सामने वे टिक नहीं सके और एक बार फिर इन सीटों पर एनडीए के प्रत्याशियों ने परचम लहरा दिया.
दरभंगा, उजियारपुर और मधुबनी में भाजपा ने हैट्रिक लगा दी है. माना जा रहा है मिथिलांचल इलाके में इस चुनाव के परिणाम का प्रभाव अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव पर पड़ेगा. ऐसे में महागठबंधन को अगले विधानसभा में एनडीए को पराजित करने के लिए नई रणनीति पर विचार करना पड़ेगा. उजियारपुर सीट पर केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय विजय प्राप्त कर फिर से लोकसभा पहुंच गए. इस सीट पर राजद ने आलोक मेहता को उतारकर जबरदस्त चुनौती पेश की थी.
मतगणना के दौरान यह देखने को भी मिला, लेकिन आखिरकार राय ने विजय हासिल कर राजद की रणनीति को असफल कर दिया. यही हाल दरभंगा की सीट पर भी देखने को मिला. यहां भी राजद ने ललित यादव को भाजपा प्रत्याशी गोपाल जी ठाकुर के मुकाबले में उतारकर अपने वोट बैंक के समीकरण के सहारे इस सीट पर कब्जा जमाने की कोशिश की, लेकिन मतदाताओं ने मोदी की गारंटी पर ही विश्वास जताया. मधुबनी से भी भाजपा के अशोक कुमार यादव ने राजद के अली अशरफ फातमी के चक्रव्यूह को तोड़ने में सफलता पाई.
समस्तीपुर इस चुनाव में हॉट सीट बनी हुई थी. यहां से नीतीश कुमार मंत्रिमंडल के सदस्यों के पुत्र और पुत्री का जबरदस्त मुकाबला देखने को मिला. दरअसल, लोजपा (रामविलास) ने मंत्री अशोक चौधरी की पुत्री शांभवी चौधरी को मैदान में उतारा था. इसके मुकाबले में कांग्रेस ने मंत्री महेश्वर हजारी के पुत्र को सन्नी हजारी के जरिये एनडीए को घेरने की पुख्ता व्यवस्था कर दी, लेकिन आखिरकार शांभवी को मतदाताओं ने पसंद किया. शांभवी यह चुनाव 1.73 लाख से ज्यादा मतों से यह चुनाव जीत ली.
झंझारपुर में भी जदयू के रामप्रीत मंडल ने विकासशील इंसान पार्टी के सुमन कुमार महासेठ को पराजित कर दिया. जबकि सीतामढ़ी में पहली बार चुनावी मैदान में उतरे जदयू के देवेश चंद्र ठाकुर के सामने राजद के अर्जुन राय ने चुनौती पेश करने की कोशिश की, लेकिन ठाकुर ने आसानी से यह सीट जीत ली. बहरहाल, एनडीए ने मिथिलांचल में अपना परचम लहरा कर एक बार फिर साबित कर दिया कि इस इलाके में उनके वर्चस्व को तोड़ने के लिए महागठबंधन को कोई बड़ी रणनीति बनानी होगी, क्योंकि इस इलाके में साफ सुथरा चेहरा और काम करने वाले प्रत्याशियों को मतदाता पसंद करते रहे हैं.