ग्लोबल पीस इंडेक्स जीपीआई 2024 की के अनुसार पूरी दुनिया में चल रहे युद्धों से तरिक्ष तक हाहाकार मची हुई है और विश्व की औसतन शांति में 0.56 फीसदी की गिरावट आई है। जीपीआई रिपोर्ट के अनुसार पूरी दुनिया पर युद्ध का साया तेजी से गहरा रहा है। इसको फैलने से नहीं रोका गया तो यह कभी भी पूरी दुनिया को चपेट में ले सकता है। ग्लोबल पीस इंडेक्स की 18वीं रिपोर्ट में दावा किया गया है कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद से पहली बार वैश्विक संघर्षों की संख्या सबसे अधिक 56 के स्तर पर पहुंच गई है। परंपरागत हथियारों (ऑर्टिलरी) की तुलना में अब वैश्विक ताकतें ड्रोन्स और डिफेंस सैटेलाइट पर ज्यादा खर्च कर रही हैं। सैन्य सैटेलाइट पर खर्च बढ़ने से अब टकराव का साया स्पेस तक पहुंच गया है। इतना ही नहीं, ड्रोन की एंट्री से अब छोटे समूह भी आसानी से हमलावर क्षमताओं को तेजी से बढ़ा रहे हैं। वैश्विक स्तर पर बढ़ती हिंसा के चलते 2023 में इसका के कारण आर्थिक नुकसान को 19.1 लाख करोड़ डॉलर आंका गया है, जो कि दुनिया भर की जीडीपी का 13.5 फीसदी ठहरता है। प्रति व्यक्ति यह नुकसान 2380 डॉलर यानी करीब 198949 रुपए आंका गया है। चिंताजनक यह है कि अब युद्ध भी अंतर्राष्ट्रीय होते जा रहे हैं। दुनिया भर में 92 देश अपनी सीमाओं पर संघर्ष के हालात से जूझ रहे हैं। वहीं, 2024 में 97 देशों में शांतिपूर्ण हालातों में गिरावट देखी गई है, जबकि भारत समेत 65 देशों में स्थितियां बेहतर हुई हैं। रिपोर्ट जारी होने का सिलसिला शुरू होने के बाद से ये सबसे अधिक संख्या है।
एशिया में सिंगापुर सबसे शांत
सिंगापुर को दुनिया का पांचवां और एशिया में सबसे अधिक शांतिपूर्ण देश माना गया है। इस सूची में मलेशिया को जापान से अधिक शांतिपूर्ण मानते हुए उसे 10वीं वैश्विक रैंक दी गई है, जबकि जापान को 17वीं। वहीं पीस इंडेक्स में चीन को 89वीं रैंक दी गई है। वैश्विक स्तर पर बढ़ते संघर्षों के चलते दुनिया भर के 108 देशों ने अपनी सैन्य क्षमताओं में इजाफा किया है। इससे पूरी दुनिया की सैन्य क्षमता 10 फीसदी बढ़ी है। अमरीका की घातक सैन्य क्षमता चीन की तुलना में तीन गुना अधिक है, हालांकि पिछले 10 सालों में सैन्य क्षमता में सबसे अधिक इजाफा चीन ने ही किया है। इसके बाद रूस और फ्रांस तथा यूके की सैन्य क्षमता सबसे अधिक है।
भारत से ज्यादा अशांत ये देश
रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले दशक में, 10 में से नौ वर्ष शांति में गिरावट के वर्ष रहे हैं। रिकॉर्ड संख्या में संघर्ष, सैन्यीकरण में वृद्धि और अंतर्राष्ट्रीय रणनीतिक प्रतिस्पर्धा में वृद्धि देखी गई। इतना ही नहीं, यूक्रेन युद्ध के चलते दुनिया के सबसे अधिक शांतिपूर्ण क्षेत्र यूरोप के तीन चौथाई देशों ने 2023 में अपने सैन्य खर्च में इजाफा किया है। हालांकि, यूरोप में आज भी दुनिया के 10 सर्वाधिक शांतिपूर्ण देशों में से सात देश स्थित हैं, लेकिन इस क्षेत्र के 36 में से 23 देशों में शांतिपूर्ण हालात में गिरावट दर्ज की गई है। 2024 की पीस इंडेक्स के अनुसार, पूरी दुनिया में औसतन शांति में 0.56 फीसदी की गिरावट आई है। आइसलैंड, आयरलैंड और ऑस्ट्रिया को दुनिया के तीन सबसे शांतिपूर्ण देशों का स्थान दिया गया है। इसमें अमरीका को 132वीं रैंक देते हुए 116वें स्थान पर मौजूद भारत से ज्यादा अशांत माना गया है।
इन देशों की रैंकिंग में हुआ सुधार
भूटान 21 3
नेपाल 81 12
बांग्लादेश 93 8
श्रीलंका 100 1
भारत 116 5
पाकिस्तान 140 2