भारत में मॉनसून खत्म होने का समय आ रहा है।
हालांकि सितंबर के आखिर तक इसका असर रहने का अनुमान है। आमतौर पर मॉनसून 17 सितंबर से सिमटना शुरू होता है और 15 अक्टूबर तक पूरी तरह चला जाता है।
हालांकि यह तारीखें निश्चित नहीं हैं और इनमें बदलाव होता रहता है। उदाहरण के तौर पर पिछले साल 25 सितंबर से मॉनसून का सिमटना शुरू हुआ था।
इस साल भी कुछ ऐसा ही पैटर्न बनता दिखाई दे रहा है। ऐसे में मॉनसून के लंबे होने के आसार बन रहे हैं। सात सितंबर तक देश में औसत से अधिक 8 फीसदी बारिश रिकॉर्ड हुई है, लेकिन कुछ राज्यों में इसका वितरण असमान है।
राजस्थान में 57 फीसदी अधिक बारिश हुई है, जो यहां के लिए जरूरी था। वहीं, मणिपुर में औसत बारिश 30 फीसदी कम रही है, जो वॉटर लेवल और किसान के लिए खतरे की घंटी है।
भारत के मौसम में विभिन्नता के चलते यहां बारिश में भी समानता नहीं दिखती है। इसे पांच अहम कैटेगरी में बांटा जा सकता है।
बहुत कम बारिश (-99 से -60 फीसदी), कम बारिश (-59से -20 फीसदी), सामान्य (-19 से 19 फीसदी), अधिक बारिश (20 से 60 फीसदी) और बहुत अधिक बारिश (60 से 99 फीसदी)। इस साल की बात करें तो किसी भी राज्य में न तो बहुत कम बारिश हुई है या बहुत अधिक बारिश हुई है।
हालांकि कुछ राज्यों में बारिश में कमी जरूर दर्ज की गई है। मणिपुर में औसत से माइनस 30 फीसदी, बिहार में माइनस 26 फीसदी, पंजाब में माइनस 23 फीसदी और जम्मू-कश्मीर में माइनस 20 फीसदी बारिश कम हुई है। वहीं, हिमाचल प्रदेश में माइनस 21 फीसदी और अरुणाचल प्रदेश में माइनस 22 फीसदी की कमी हुई है।
कुछ अन्य राज्यों में सामान्य, लेकिन औसत से कम बरसात हुई है। इनमें उत्तर प्रदेश में औसत से माइनस 14 फीसदी, असम में माइनस 13 फीसदी, हरियाणा और केरल में माइनस 10 फीसदी कम बारिश हुई है।
इसके अलावा ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल, मिजोरम और मेघालय में भी कुछ ऐसा ही हाल है। दूसरी तरफ दिल्ली अधिक बारिश के बिल्कुल कगार पर खड़ा है।
यहां पर औसत से 19 फीसदी अधिक बारिश हुई है। जबकि 7 फीसदी अधिक बारिश के साथ मध्य प्रदेश भी इसी श्रेणी में है। इसके विपरीत, कई राज्यों में प्रचुर वर्षा दर्ज की गई।
राजस्थान 57 प्रतिशत अधिक बारिश के साथ सबसे आगे है। इसके बाद तमिलनाडु और गुजरात दोनों 51 फीसदी, का नंबर आता है।
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