तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने शनिवार को इजरायली “विस्तारवाद” का मुकाबला करने के लिए इस्लामिक देशों से एकजुट होने की अपील की।
उनका यह बयान उस घटना के बाद आया है, जिसमें इजरायली सैनिकों ने वेस्ट बैंक में एक विरोध प्रदर्शन के दौरान 26 वर्षीय तुर्क-अमेरिकी महिला को मार गिराया था।
समाचार एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, इस्तांबुल के पास एक इस्लामी स्कूल संघ द्वारा आयोजित कार्यक्रम में बोलते हुए एर्दोगन ने कहा, “इजरायली अहंकार, लूट और उसके आतंकवाद को रोकने का एकमात्र तरीका इस्लामिक देशों की एकता है।”
उन्होंने यह भी कहा कि तुर्की ने हाल ही में मिस्र और सीरिया के साथ संबंध मजबूत करने की कोशिशें की हैं। उन्होंने कहा कि “इजरायली विस्तारवादी खतरे के खिलाफ एकजुटता जरूरी” हो गई है।
एर्दोगन ने इजरायल को लेबनान और सीरिया के लिए भी खतरा बताया।
एर्दोगन की यह टिप्पणी उनके और मिस्र के राष्ट्रपति अब्देल फतह अल-सीसी के बीच अंकारा में हुई बैठक के बाद आई है।
इस बैठक में दोनों नेताओं ने गाजा संघर्ष पर चर्चा की और दोनों देशों के बीच लंबे समय से तनावपूर्ण संबंधों को सुधारने के उपायों पर विचार किया।
यह यात्रा दोनों देशों के बीच 12 वर्षों में पहली राष्ट्रपति स्तर की बैठक थी, जो 2020 में तुर्की द्वारा क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वियों के साथ संबंध सुधारने की व्यापक कूटनीतिक पहल का हिस्सा है।
तुर्की की इस पहल में संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब भी शामिल हैं।
उन्होंने यह नहीं बताया कि उसे इजरायली सैनिकों ने गोली मारी या नहीं।
व्हाइट हाउस ने एक बयान में कहा कि वह एक अमेरिकी नागरिक की हत्या से ‘बहुत परेशान’ है। तुर्की के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ओनकू केसेली ने कहा कि ईगी तुर्किये की भी नागरिक थीं।
उन्होंने कहा कि उनका देश ‘‘यह सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव प्रयास करेगा कि उसके नागरिक की हत्या करने वालों को न्याय के कठघरे में लाया जाए।’’
दुश्मनों से भी हाथ मिलाने को तैयार तुर्की के एर्दोगान
तुर्की की कुछ मुस्लिम देशों के साथ ऐतिहासिक और क्षेत्रीय कारणों से तनावपूर्ण संबंध रहे हैं।
सीरिया: तुर्की और सीरिया के संबंध 2011 में सीरियाई गृहयुद्ध के बाद से बहुत खराब हो गए। तुर्की ने सीरियाई विद्रोही गुटों का समर्थन किया, जबकि सीरिया के राष्ट्रपति बशर अल-असद सत्ता में बने रहे। तुर्की ने सीरिया के उत्तरी हिस्से में सैन्य हस्तक्षेप भी किया, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया।
मिस्र: 2013 में मिस्र के राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी को हटाए जाने के बाद तुर्की और मिस्र के बीच संबंध बिगड़ गए। तुर्की ने मुर्सी और मुस्लिम ब्रदरहुड का समर्थन किया, जबकि मिस्र की सेना ने सत्ता अपने हाथ में ले ली थी। हालांकि हाल के वर्षों में दोनों देशों ने संबंध सुधारने के प्रयास किए हैं, लेकिन दोनों के बीच दुश्मनी का इतिहास रहा है।
सऊदी अरब: तुर्की और सऊदी अरब के बीच तनाव 2017 में कतर संकट और 2018 में इस्तांबुल में सऊदी पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या के बाद बढ़ गया। तुर्की ने खशोगी की हत्या के मामले में सऊदी सरकार की आलोचना की, जिससे दोनों देशों के बीच रिश्ते बिगड़े। इसके अलावा, तुर्की का कतर के समर्थन में आना और सऊदी अरब का कतर के खिलाफ रुख दोनों देशों के बीच तनाव का कारण बना।
संयुक्त अरब अमीरात (यूएई): तुर्की और यूएई के बीच भी संबंधों में खटास रही है, खासकर लीबिया और सीरिया के मामलों में। यूएई ने सीरिया और लीबिया में तुर्की के हस्तक्षेप का विरोध किया। इसके अलावा, मुस्लिम ब्रदरहुड के मुद्दे पर दोनों देशों के बीच मतभेद रहे हैं। हालांकि, हाल के वर्षों में तुर्की और यूएई के बीच संबंध सुधारने की कोशिशें की गई हैं।
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