प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी अमेरिका यात्रा के दौरान डोनाल्ड ट्रंप या कमला हैरिस से मुलाकात क्यों नहीं की? यह सवाल जोरशोर से उठाया जा रहा है।
दरअसल, यूएस में अगले राष्ट्रपति के लिए करीब 5 हफ्ते बाद मतदान होना है। ऐसे में भारत ने अमेरिका के ध्रुवीकृत राजनीतिक परिदृश्य से दूर रहने का प्रयास किया।
ध्यान देने वाली बात यह है कि ट्रंप ने पिछले हफ्ते मिशिगन में चुनावी रैली के दौरान कहा था कि मोदी अगले हफ्ते उनसे मिलने आ रहे हैं।
उन्होंने पीएम मोदी को ‘शानदार आदमी’ बताया था। मगर, भारत ने कभी भी ऐसी मीटिगं की पुष्टि नहीं की। साथ ही, कहा गया कि बैठक का कार्यक्रम तय नहीं था और लगातार बदलता रहा।
हिन्दुस्तान टाइम्स को बताया गया कि यात्रा को लेकर शुरू से ही यह साफ था कि पीएम मोदी दोनों उम्मीदवारों से मिलेंगे या फिर किसी से नहीं।
भारतीय अधिकारी इस बात को लेकर सचेत थे कि नई दिल्ली की अमेरिकी राजनीति में पक्षपातपूर्ण छवि न बने। प्रवासी भारतीय अधिकारियों का भी ऐसा ही मानना रहा।
यही वजह थी कि पीएम मोदी के प्रवासी कार्यक्रम के आयोजकों ने पिछले आयोजनों के विपरीत भारतीय-अमेरिकी प्रतिनिधियों सहित किसी भी निर्वाचित अमेरिकी अधिकारी को आमंत्रित नहीं किया।
2019 में मोदी ट्रंप के साथ ह्यूस्टन में हाउडी मोदी कार्यक्रम में शामिल हुए थे। इसके बाद 2020 में अहमदाबाद में नमस्ते ट्रंप कार्यक्रम का आयोजन हुआ।
इसे लेकर डेमोक्रेट्स में यह धारणा बनी कि भारत ट्रंप का समर्थन कर रहा है। ऐसी छवि को सुधारने के लिए नई दिल्ली को कड़ी मेहनत करनी पड़ी।
ट्रंप और हैरिस चुनाव प्रचार में बिजी
कमला हैरिस भारतीय-अमेरिकी हैं। उन्हें समुदाय के बीच काफी समर्थन प्राप्त है। यह बात भी भारतीय अधिकारियों के दिमाग में रही होगी।
प्रवासी कार्यक्रम में पीएम मोदी ने अमेरिकी चुनाव को विश्व स्तर पर होने वाले लोकतंत्रिक चुनावों के संदर्भ में जिक्र किया। साथ ही, इसे भारत के चुनाव और अपनी जीत व जिम्मेदारियों से भी जोड़ दिया।
यहां पर यह बात भी ध्यान देने वाली है कि यूएस में कुछ दिनों के बाद राष्ट्रपति पद के लिए मतदान होना है। ऐसे में ट्रंप और हैरिस दोनों ही इन दिनों काफी बिजी हैं।
संभव है कि व्यस्तता के चलते मोदी के साथ कार्यक्रम आयोजित करना मुश्किल रहा हो।
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