भोपाल : पशुपालन एवं डेयरी क्षेत्र में भारत विश्व के अग्रणी देशों में शामिल है। पशु संगणना में जहां भारत का विश्व में प्रथम स्थान है, वहीं विश्व में सर्वाधिक दुग्ध उत्पादन भी भारत में ही होता है। विश्व के सकल दुग्ध उत्पादन का 25% भारत में होता है। भारत में कृषि उत्पादन में पशुपालन एवं डेयरी क्षेत्र का 30% योगदान है। मध्य प्रदेश किसान क्रेडिट कार्ड (पशुपालन) सहित अन्य योजनाओं में भारत में अग्रणी है। अगले माह मध्य प्रदेश सहित पूरे भारत में 21वीं पशु संगणना प्रारंभ होने वाली है। पशु संगणना में इस बार डाटा कलेक्शन का पूरा कार्य ऑनलाइन किया जाएगा।
यह जानकारी आज प्रदेश में 21 वीं पशु संगणना 2024 की तैयारियों के संबंध में संचालनालय, पशु चिकित्सा एवं डेयरी के सभागार में आयोजित राज्य स्तरीय कार्यशाला में दी गई। कार्यशाला में भारत सरकार की मत्स्य, पशुपालन एवं डेयरी विभाग की सचिव श्रीमती अलका उपाध्याय द्वारा पशु संगणना 2024 की तैयारियों के संबंध में ऑन लाइन संदेश दिया गया। कार्यशाला का शुभारंभ संचालक पशुपालन एवं डेयरी श्री पी. एस. पटेल द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया। कार्यशाला में पूरे प्रदेश के पशु चिकित्सा अधिकारी एवं अन्य संबंधित उपस्थित थे।
कार्यशाला में बताया गया कि21वीं पशु संगणना मध्य प्रदेश के 55 जिलों के एक करोड़ 80 लाख परिवारों में घर-घर जाकर की जानी है। पशु संगणना में इस बार जब संगणक पशुओं की गणना करेंगे तब वे प्राप्त आंकड़ों को सीधे अपने टैब के माध्यम से पशु गणना सॉफ्टवेयर में भरेंगे। इस बार संगणना में पशुओं की नस्लों का भी विवरण दिया जाएगा। इसके लिए जब वे पशुओं का फोटो स्कैन करेंगे तब सॉफ्टवेयर के माध्यम से पशुओं की नस्ल की जानकारी मिल जाएगी।
पूरे प्रदेश में पशु गणना के लिए 5264 इकाई ग्राम एवं 728 शहरी वार्ड निर्धारित किए गए हैं।पशु संगणना के लिए ग्रामीण क्षेत्र में प्रत्येक 3000 परिवार एक संगणक और शहरी क्षेत्र में प्रत्येक 4000 परिवार एक संगणक नियुक्त किए गए हैं। उनके ऊपर सुपरवाइजर नियुक्त किए गए हैं। कुल 5558 संगणक नियुक्त किए गए हैं, जिनमें ग्रामीण क्षेत्रों में 4141 और शहरी क्षेत्र में 1417 संगणक बनाए गए हैं। कुल 970 सुपरवाइजर नियुक्त किए गए हैं, जिनमें ग्रामीण क्षेत्रों में 828 एवं शहरी क्षेत्र में 142 हैं।
पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय भारत सरकार द्वारा 21वीं पशुधन गणना के लिए मध्य प्रदेश मैं प्रभावी रणनीति बनाकर उसे क्रियान्वित करने के उद्देश्य से इस कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में पशुधन गणना के लिए कार्य प्रणाली और दिशा निर्देशों पर विस्तृत सत्र, मोबाइल एप्लीकेशन और डैश–बोर्ड सॉफ्टवेयर पर प्रशिक्षण के साथ ही प्रतिभागियों के प्रश्न और समस्याओं का समाधान भी किया गया।