यूक्रेन-रूस जंग के बीच नाटो की तरफ से एक बड़ा फैसला लिया गया है।
यह सैन्य संगठन हाल ही में शामिल हुए देश फिनलैंड की रूसी सीमा के पास 2025 तक नया कमांड सेंटर बनाने की तैयारी में है।
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान फिनलैंड के रक्षामंत्री ने बताया कि नाटो की मल्टी कॉर्प्स लैंड कंपोनेंट कमांड नामक नई यूनिट का एक कमांडिंग सेंटर हमारी उत्तरी सीमा के पास स्थापित किया जाएगा।
यहां से नाटो की सेनाएं हमारी सेना के साथ मिलकर काम करेंगी। यह उत्तरी यूरोप में किसी भी प्रकार के सैन्य संघर्ष को रोकने का काम करेगी।
रूस का यूक्रेन पर हमला करने का एक बड़ा कारण उसके नाटो में शामिल होने की कोशिशों को भी माना जाता है।
रूस ने जब यूक्रेन पर हमला किया तो पड़ोसी देश फिनलैंड, अपने क्षेत्र की रक्षा और भविष्य में किसी भी प्रकार के संघर्ष से बचने की कोशिश में 2023 में नाटो में शामिल हो गया था।
मल्टी कॉर्प्स लैंड कंपोनेंट कमांड
फिनलैंड के रक्षा मंत्री ने अपनी बात रखते हुए कहा कि हमारी सरकार ने यह तय किया कि हम नाटो को मिक्केली में अपनी सेना के साथ मिलकर कमांड सेंटर बनाने का प्रस्ताव देंगे।
उन्होंने कहा कि नाटो के सभी सदस्य देशों ने इसके लिए अपनी सहमति दे दी है, हम जल्दी ही इस पर काम शुरू कर देंगे। मंत्री ने कहा कि मिक्केली से रूसी सीमा केवल दो घंटे की दूरी पर स्थित है।
नाटो के साथ फिनलैंड की क्या है योजनाएं
यूक्रेन पर हुए रूसी आक्रमण के बाद स्वीडन और फिनलैंड ने नाटो में शामिल होने की अपनी प्रक्रिया को तेज कर दिया था, जिसके बाद अगले ही वर्ष इन दोनों देशों को नाटो में शामिल कर लिया गया।
नाटो के सभी देशों की तरफ से इन दोनों देशों को मान्यता देने में ज्यादा कोई देर नहीं की गई। फिनलैंड की सेना के कमांडर पासी वालमाकी ने इस मौके पर अपनी बात रखते हुए कहा कि यह कमांड कहां तक सेनाओं का नेतृत्व करेगी यह अभी निश्चित नहीं है लेकिन इतना तय है कि यह नॉर्डिक क्षेत्र में जमीनी स्तर पर सारे ऑपरेशन और उनकी गतिविधियों पर अपना नियंत्रण रखेगी और उनकी देखरेख करेगी।
रूस और यूक्रेन के युद्ध का विश्लेषण करने वाले कई विशेषज्ञों के मुताबिक रूस का यूक्रेन के ऊपर हमला करने का मुख्य कारण यूक्रेन का नाटो में शामिल होने की पेशकश करना ही था।
रूस नहीं चाहता था कि नाटो सेनाएं सीधे उसकी सीमा के पास ही आ जाए या फिर नाटो की मिसाइलें उसकी सीमा के इतने पास आएं।
यूक्रेन को नाटो में शामिल होने से रोकने के लिए रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया। लेकिन अमेरिका पहले ही एक संधि में यूक्रेन की मदद करने का वादा कर चुका था इसलिए उसे भी इस युद्ध में यूक्रेन की मदद के लिए आगे आना पड़ा।
यूक्रेन तो नाटो में शामिल ना हुआ लेकिन रूस की सीमा से लगे यह दो नॉर्डिक देश जरूर नाटो में शामिल हो गए।
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